वृद्ध दिवस पर बुजुर्गों ने अपनी प्रतिक्रियायें देकर बच्चों को संस्कारवान बनने की दी प्रेरणा………
प्रस्तुति-लक्ष्मीकांत भारद्वाज
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। वृद्ध दिवस पर बुजुर्गों ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि वरिष्ठ जनों का आशीर्वाद बच्चों पर कवज की तरह कार्य करता है। बुजुर्ग घर की नींव होते है। वर्तमान समय में आधुनिकता के दौर में लोग अपने घर के बुजुर्गों को भूल जा रहे है और उनके साथ दुव्र्यवहार करते है। जो मां-बाप उन्हें बचपन से पाल पोष कर उन्हें समाज में चलने योग्य बनाते हैं, बुढ़ापे में वही संतान मां-बाप को या तो वृद्ध आश्रम में छोड़ आती है या फिर घर के किसी कोने में असहाय छोड़ देती। ऐसे में जो मां-बाप सेवानिवृत्त हो जाने के बाद पेंशन जैसी या आर्थिक स्थिति में मजबूत होते है वहां यह समस्या कम होती है, क्योंकि उनके बच्चों को किसी न किसी प्रकार से लालच बना रहता है, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते है जो मां-बाप की सेवा कर उच्च पदों पर आसीन हो जाते है और उन्हें बुढ़ापे में बच्चे की तरह सेवा करते है।
आर्य समाज के राष्ट्रीय प्रचारक व जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान आचार्य चंद्रदेव शास्त्री जो कि 75 वर्ष से अधिक अवस्था में भी वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार को निरंतर समर्पित रहते हैं व देश भर में घूम-घूमकर युवाओं को वैदिक संस्कृति व राष्ट्रीयता से जोडऩे का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि जिनके ऊपर वरिष्ठ जनों का हांथ होता है वो जीवन में सदैव उन्नति करते हैं। बड़ों का आशीर्वाद छोटों के लिए कवच का कार्य करता है।
बढ़पुर निवासी महाराजा हरिश्चन्द्र महाविद्यालय के संस्थापक डा0 हरिश्चन्द्र सिंह तिवारी ने बुजुर्ग दिवस पर बताया कि बच्चों को सदैव वरिष्ठ जनों का सम्मान करना चाहिए, उनकी सेवा से आयु, विद्या और यस की वृद्धि होती है। भारतीय संस्कृति बड़ों का आदर व सत्कार की प्रेरणा देती है। वृद्ध लोगों में अनुभव होता है, नई पीढ़ी को इसका फायदा लेना चाहिए। आज कल के बच्चे स्मार्ट फोन में व्यस्त रहते है।
लोकतंत्र सेनानी चन्द्रपाल वर्मा ने वृद्ध दिवस पर बताया कि वृद्ध संबंधी समस्यायें हर परिवार में है। परिवार को सुचारु रुप से चलाने के लिए घर का मुखिया होना बहुत जरुरी है। क्योंकि बुजुर्ग मुखिया होने के साथ-साथ अनुभवी होता और संस्कारों से परिवार को परिपूर्ण करने में सहायक होता है। हर शिकायत को आसानी से सुलझाने का सहास बुजुर्ग में ही होता है, क्योंकि उनकी सफेदी ही बताती है कि वह अनुभवकारी है।सेवानिवृत्त सेल टैक्स अधिवक्ता राकेश सक्सेना ने बताया कि बुजुर्गों का आशीर्वाद ही बच्चों के लिए काफी है। जो बच्चे बड़ों के सानिध्य में रहकर पढ़-लिखकर आगे जाते है उनके संस्कार उन्हें जीवन जीने की कला सिखाते है। वृद्धों का सम्मान करना हर युवा व आम नागरिक का कर्तव्य है। आज की युवा पीढ़ी बुजुर्गों से दूर होती जा रही है क्योंकि उनके खान-पान व सेहत को देखने वाला बुजुर्ग उनसे दूर है।