फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रामलीला कमेटी फतेहगढ़ की ओर से नगर के मोहल्ला श्रीराम निवास सब्जी मंडी स्थित श्रीराम चबूतरा पर लीला के तीसरे दिन श्रीराम जानकी राम लीला मण्डल सरिगवां बिल्हौर के कलाकारों द्वारा मुनि आगमन, ताडका वध तथा श्रीराम सीता मिलन प्रसंग मंचित हुआ। कमेटी अध्यक्ष रवीश कुमार द्विवेदी द्वारा आरती पूजन करने के बाद लीला का मंचन शुरू किया गया। लीला में दर्शाया गया कि ब्रम्हर्षि विश्वामित्र अपने आश्रम पर यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे थे कि यज्ञ में असुरो द्वारा विघ्न डाला जा रहा था। असुरो से परेशान होकर ब्रम्हर्षि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए महाराज दशरथ से मिलने अयोध्या पहुंचते है। वहां पहुंचे तो महाराज दशरथ को ब्रम्हर्षि विश्वामित्र के आगमन की सूचना द्वारपालो द्वारा मिलती है, तभी दशरथ से विश्वामित्र उनके पुत्रों को मांगने आते है। राजा के इंकार को सुनकर ब्रम्हर्षि विश्वामित्र क्रोधित हो उठे। उनके क्रोध को देखकर महाराज दशरथ के कुल गुरू महर्षि वशिष्ठ ने अनेको प्रकार से महाराज दशरथ को समझाया और कहा कि हे राजन आप राम लक्ष्मण को ब्रम्हर्षि के हवाले कर दीजिए। इसी में भलाई है। गुरूदेव की आज्ञा पाकर महाराज दशरथ ने अपने दोनों पुत्रों राम लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा के लिए भेज देते है। रास्ते में उन्होंने शिला देखी। विश्वामित्र ने बताया कि यह शीला गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या की है, श्राप के कारण शिला बन गयी। उनके चरण के स्पर्श से शिला नारी में परिवर्तित हो गयी। श्रीराम के आग्रह पर विश्वामित्र ने बताया कि हे राम यह पद चिन्ह राक्षसी ताडक़ा का है, इतना कहने के बाद उन्होंने श्रीराम से ताडका का वध करने का इशारा किया। गुरूदेव के इशारा पर श्रीराम ने अपने बाण से ताडका का वध कर दिया। कुछ दिन बीतने के बाद श्रीराम लक्ष्मण ब्रम्हर्षि के आश्रम पर रहने लगे, उधर बाद महाराज जनक द्वारा जनकपुर में स्वयम्बर रचाया गया था। जिसमें ब्रम्हर्षि विश्वामित्र को निमंत्रित किया गया था। निमंत्रण पाकर ब्रम्हर्षि विश्वामित्र अपने दोनों चेलों श्रीराम व लक्ष्मण के साथ जनकपुर के लिए प्रस्थान कर देते है। लीला पंडाल में दर्शकों की भारी भीड़ उपस्थित रही।