मेला रामनगरिया के सांस्कृतिक पंडाल में लोकतंत्र सेनानी सम्मलेन/गंगा प्रदूषण निवारण एवं पर्यावरण गोष्ठी का आयोजन किया गया| गोष्ठी में कानपुर मंडल से आये लोकतंत्र सेनानी सम्मिलित हुए। गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में महंत बाबा बालकदास जी मौजूद रहे| कार्यक्रम की अध्यक्षता आपातकाल लोकतंत्र सेनानी समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्र एडवोकेट ने की एवं संचालन प्रख्यात कवि ब्रज किशोर सिंह ने किया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम संयोजक ब्रज किशोर मिश्र एडवोकेट ने कहा कि 25 जून 1975 को आज़ाद भारत एक बार फिर आंतरिक गुलामी की बेडियों में जकड़ गया था| आपातकाल के कालखंड को याद करते हुए उन्होंने कहा तानाशाही सरकार ने “न अपील, न वकील, न दलील” के सिद्धांत पर आपातकाल का विरोध करने वाले समस्त राजनेताओ, विद्याथियो को जेल की काल कोठरियों में डाल दिया गया था, और अनेकों प्रकार की अमानवीय यातनाए देकर आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने कहा कि जनता के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात कर तत्कालीन तानाशाह ने आचार्य विनोवा भावे तक को अपमानित किया था किन्तु 7 तालों के भीतर कुम्भकरणी नींद सोयी सरकार कों उखाड़ फेकने की कसम खा चुके लोकतंत्र रक्षक “हटे नहीं, डिगे नहीं, डटे रहे”| लोकशक्ति और तानाशाह के मध्य हुए इस जबरदस्त संघर्ष में अलोकतांत्रिक शक्तियों को धूल धूसरित करते हुए लोकतंत्र पुनः बहाल हुआ| गंगा में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए ब्रज किशोर मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से आज केंद्र और राज्य सरकार संगठित रूप से माँ गंगा की स्वछता के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है और इसी का परिणाम है आज गंगा नदी में विशालतम क्रूज का संचालन हो रहा है| उन्होंने कहा कि अंधाधुंध बांध निर्माण गंगा की अविरलता में सबसे बड़े बाधक है साथ ही औद्योगिक इकाईयों द्वारा छोड़े जाने वाला औद्योगिक कचरा प्रदूषण के मुख्य कारण है जिन पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है| उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिन 1109 गंभीर प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान की है उनपर सरकार को सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए|
गोष्ठी को संबोधित करते हुए महंत बाबा बालकदास ने कहा कि भारत में अनादिकाल से ही गंगा जीवनदायिनी और मोक्ष दायिनी रही है, माँ गंगा भारतीय संस्कृति, सभ्यता और अस्मिता की प्रतीक रही हैं। गंगा जी की अविरल और निर्मल सतत् धारा के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती। माँ गंगा की स्वच्छता को लेकर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार लगातर कड़े कदम उठा रही है फलस्वरूप गंगा जल की शुद्धता में दिनोदिन सुधार हो रहा है| महंत बालकदास ने कहा कि संत समाज सरकार के हर उस निर्णय के साथ है जो गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की दिशा में हो| महंत बाबा बालकदास जी ने गंगा में गिरने वाले गंदे नालों को बंद करने का विषय उठाया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए लोकतंत्र सेनानी राजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय जीवन में लोकतंत्र लोकजीवन का धर्म है और आज भी लोकतंत्र पर किश्तों में आघात हो रहे है| आपातकाल से सबक लेते हुए हम सभी को लोकतंत्र के सभी पक्षों को मजबूत करने का प्रण लेना होगा ताकि देश को दुबारा आपातकाल जैसी दु:खद घटना का सामना न करना पड़े|
गंगा स्वछता के ऊपर बोलते हुए गंगा सेवक अरुण कटियार ने कहा कि गंगा की स्वच्छता की पहल हर व्यक्ति को अपने परिवार से करनी आवश्यक है। उन्होंने प्रदूषण रोकने के लिए वृहद वृक्षारोपण पर जोर दिया।
कार्यक्रम के अंत में सभी लोकतंत्र सेनानियों को शॉल ओढ़ाकर व माल्यापर्ण करके उनका सम्मान किया गया।
गोष्ठी में लोकतंत्र सेनानी राम लखन मिश्रा, रामसनेही कनौजिया, राजेंद्र त्रिपाठी, चद्रशेखर कटियार, वीरेंद्र कटियार, अरुण कटियार, सोनेलाल, रामसिंह, राधेश्याम वर्मा, जमादार सिंह यादव, मकबूल बेग, मनोरमा मिश्रा, लाल मोहम्मद, राजीव कटियार, अवनीश कटियार, रवि मिश्रा, आदित्य दीक्षित, राहुल मिश्र, रजनीश बाजपेई आदि लोग उपस्थित रहे।