- उप्र मदरसा बोर्ड एक्ट वैध, कामिल-फाजिल असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक ठहराया है, लेकिन इसके साथ ही मदरसों से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कामिल-फाजिल लेने वालों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कामिल-फाजिल की डिग्री देने के प्रविधानों को यूजीसी एक्ट के खिलाफ बताते हुए असंवैधानिक करार दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. अदालत ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. सीजेआई ने कहा कि यूपी मदरसा एक्ट के सभी प्रावधान धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करते हैं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया. इस फैसले का मुस्लिम धर्म गुरुओं ने स्वागत किया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है. साथ ही उन्होंने इस फैसले को न्याय की जीत बताया और कहा, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ‘जीओ और जीने दो’ में महत्वपूर्ण संदेश है.जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, हम इस फैसले का खैर मकदम करते हैं. यह फैसला भारतीय मुसलमानों और मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोषजनक और प्रेरणादायक है. इस फैसले से देश में न्याय और समानता का पैगाम गया है. उन्होंने आगे कहा, पिछले कुछ समय से निचली अदालतों से कई ऐसे फैसले सामने आ रहे थे जिनमें पक्षपात की झलक दिखाई देती थी, आज सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को खारिज करते हुए संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा सुनिश्चित की है. मौलाना मदनी ने कहा, इस फैसले से देश में न्याय का संदेश पहुंचा है. खासकर, आज जब मुसलमान अपने आप को अलग-थलग और हाशिए पर महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, आज के समय में जिस तरह सांप्रदायिक ताकतें और सत्ता में बैठे कई मंत्री खुलेआम हिंसा की अपील कर रहे हैं, मदरसों के अस्तित्व पर हमला कर रहे हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण संदेश है. मौलाना मदनी ने यूपी मदरसा टीचर्स एसोसिएशन की उन कोशिशों की भी सराहना की जिन्होंने अपनी लड़ाई को सफलतापूर्वक लड़ते हुए इस फैसले को संभव बनाने में अहम भूमिका निभाई.