नए भारत के निर्माण में सक्रिय भागीदारी करना कला साधक संगम का मुख्य उद्देश्य

तीन दिवसीय प्रांतीय कला साधक संगम का हुआ शुभारम्भ
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती कानपुर प्रांत एवं बुंदेलखंड प्रांत द्वारा प्रांतीय कला साधक संगम उत्सव भवन में कला साधकों का संगम का शुभारंभ सांसद मुकेश राजपूत ने दीप प्रज्वलन कर किया। ध्येय गीत के साथ विविध कलाओं की प्रदर्शनी व विचार संगोष्ठी, कला दर्शन के साथ इंद्रधनुषी छटा बिखेरी गयी। राष्ट्रीय देशभक्ति माता अहिल्याबाई की जन्म शताब्दी को समर्पित कला साधक संगम का उद्देश्य भारतीय कलाओं को संरक्षण देना, भावी पीढ़ी में विलुप्त कलाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से संरक्षण देना, राष्ट्रभक्ति की भावनाओं को जन-जन तक पहुंचाना, नए भारत के निर्माण में सक्रिय भागीदारी करना, कला साधक संगम का मुख्य उद्देश्य है। संस्कार भारती कला साहित्य के साथ वैचारिक संस्था है। संस्कार भारती के संरक्षण में संगोष्ठी के माध्यम से आपसी संवाद प्रशिक्षण कला प्रदर्शनी का आयोजन करना, इसी के अंतर्गत प्रथम सत्र में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उद्घाटन सांसद मुकेश राजपूत ने किया। उन्होंने कहा संस्कार भारती कलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण का कार्य करती है। मैंने उनकी सांस्कृतिक यात्रा एक भारत श्रेष्ठ भारत यात्रा राष्ट्रभक्ति का कार्य पर्यावरण रंगोली के माध्यम से समाज के निर्माण नए भारत के निर्माण का कार्य कर रही है। प्रांत प्रमुख देवेंद्र त्रिपाठी, प्रांतीय अध्यक्ष पंडित विनोद द्विवेदी, प्रांतीय महामंत्री सुरेंद्र पांडेय, दीपा पाठक, अजय पाठक, समरेंद्र शुक्ला, अखिलेश पांडे ने भाग लिया। प्रांतीय कला साधक संगम का आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग संगीत नट्य अकादमी उत्तर प्रदेश ललित कला लखनऊ एवं संस्कार भारती कानपुर प्रांत, बुंदेलखंड प्रांत के सहयोग से महाकुंभ से पहले सरकार द्वारा जगह-जगह संगोष्ठी का आयोजन भारतीय संस्कृति में ज्ञान की परंपरा के उन्नयन में ललित कलाओं भाषा, संगीत, संस्कृति, सामाजिकता में ज्ञान की परंपरा, विचार गोष्ठी, मंथन एवं जन जागरण करना प्रमुख उद्देश्य है। प्रोफेसर जयंत खोत, प्रोफेसर अवनीश चंद्र मिश्रा, डॉ0 देवेंद्र त्रिपाठी, डॉ0 गोपाल कुमार मिश्रा, चित्रकूट लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्वानों एवं छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। जिसमें शोध पत्रों का वाचन कला प्रदर्शनी, रंगोली, भारतीय ज्ञान की परंपरा, वैदिक युग से वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना, समाधान एवं आगे बढ़ाना पर संवाद के साथ चिंतन मनन पत्र वाचन के साथ राष्ट्रीय संगोष्ठी का मंथन किया। मोहित तिवारी, गरिमा देवी, शीला, अर्चना, जयवीर सिंह, हुकुम सिंह, राजीव शुक्ला, नीतू सिंह आदि लोगों ने भाग लिया।

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