कहते हैं कि अगर इंसान सच्चे दिल से मेहनत करे तो उसे सफलता जरूर मिलती है, चाहे वो अमीर हो या गरीब. आपने ऐसे कई लोगों की कहानियां सुनी या पढ़ी होंगी, जो काफी गरीब परिवार से आते हैं और अब वो या उन्होंने बिजनेस में नाम कमा लिया है या फिर वो किसी बड़े सरकारी पद पर बैठे हैं. ऐसे ही एक युवक की कहानी आजकल काफी चर्चा में है. दरअसल, हाल ही में बिहार में बीपीएससी 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया है, जिसमें एक अंडे बेचने वाले के बेटे ने सफलता हासिल की यानी अब वह जज बन गया है.लक्ष्य को पाने के दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. लेकिन इन सबके बावजूद आदर्श ने यह साबित कर दिया कि सपने देखने और उन्हें साकार करने की कोई कीमत नहीं होती है. इस युवक का नाम आदर्श कुमार है, जो औरगांबाद के शिवगंज के रहने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदर्श के पिता ठेले पर अंडे बेचने का काम करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया, ताकि वो कुछ बन सके. आदर्श ने भी अपने पिता के सपनों को तोड़ा नहीं और वो बीपीएससी परीक्षा पास कर बिहार में सिविल जज बन गए.
120 वीं मेरिट में बनाई जगह
आदर्श ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) कैटेगरी में 120 वीं रैंक हासिल कर अपनी मेहनत और दृढ़ता का प्रमाण दिया. वे कहते हैं कि उनके माता-पिता उनके लिए भगवान से कम नहीं हैं. उन्होंने अपने पिता को ठेले पर कड़ी मेहनत करते और मां को परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते देखा. यही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनी.
यहां से की थी लॉ की पढ़ाई
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदर्श ने बोकारे के भंडारीदह डीएवी स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास की है. उन्होंने बिहार की राजधानी पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. इसके बाद वह न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए. वहां उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की. उन्होंने यूट्यूब से भी काफी कुछ सीखा है, जिसका नतीजा ये हुआ कि वो पहले ही प्रयास में बीपीएससी सिविल जज परीक्षा क्रैक कर ली और जज बन गए. उनकी इस शानदार सफलता से उनका पूरा परिवार खुश है.
संघर्ष भरी जिंदगी, सफलता का सफर
आदर्श बताते हैं कि उनके पिता दिन-रात ठेले पर काम करते थे ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. आर्थिक दिक्कतों के बावजूद परिवार ने कभी हार नहीं मानी. मां ने अपने बेटे को यह महसूस नहीं होने दिया कि घर में कितनी तंगी है. उनकी मेहनत और समर्थन ने आदर्श को हर मुश्किल से लड़ने की ताकत दी.