एसडीएम कोर्ट के पेशकार ने राजस्व के सैकड़ों मुकदमे एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से निपटा डाले। जांच में छह साल पुराने फैसले पकड़े गए हैं, जिनमें उसने मनचाहे आपत्तियां लगाईं और स्टे आदेश दिए। इस बीच कई अफसर आए-गए, किसी को खबर ही नहीं हुई। पेशकार को न्यायिक कार्य से हटाते हुए एडीएम ने डीएम से कार्रवाई की सिफारिश की है। कोरांव एसडीएम कोर्ट में लंबे समय से पेशकार हनुमान प्रसाद कब से एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर फैसले जारी कर रहा था, इसकी विस्तृत जांच होनी बाकी है। एडीएम मदन कुमार ने शुरुआती जांच में दर्जनों मामलों की फर्जी ऑर्डर शीट पकड़ी हैं। इस खेल का खुलासा हुआ, अयोध्या गांव के निवासी रामराज मिश्र की शिकायत से।
रामराज ने लिखा कि ग्राम सभा कैथवल के तीन राजस्व मुकदमों को पेशकार ने एसडीएम कोरांव के फर्जी हस्ताक्षर कर निस्तारित किया है। जांच में पता चला कि पेशकार वर्षों से यह खेल कर रहा है। जिन मुकदमों में पीठासीन अधिकारी (एसडीएम) ने कोई निर्णय नहीं लिया, हस्ताक्षर भी नहीं किए, उन्हें पेशकार ने जारी कर दिया है। ऐसा सिर्फ तीन जुलाई, आठ अगस्त-24 को ही नहीं हुआ, बल्कि दूसरी तिथियों में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। कंप्यूटरीकृत ऑर्डर शीट में भी छेड़छाड़ मिली है। दो नवंबर 2018 की एक आर्डर शीट पर लिखा है, दोनों पक्षों की सहमति से पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित की गई है, लेकिन इसमें वादी के हस्ताक्षर हैं, न प्रतिवादी के। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के भी हस्ताक्षर नहीं पाए गए। पांच नवंबर 2018 के टाइप आदेश पर ओवर राइटिंग करके आपत्ति लगाई गई है। तीन जुलाई-24 को रामनायक बनाम मिश्रीलाल के मुकदमे में स्थगन आदेश पर भी एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से आपत्ति लगाई गई है।