बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार को राजद्रोह के मामले में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि उनकी याचिका पर सुनवाई पहले तय की गई तारीख 2 जनवरी 2025 को होगी। अदालत के अधिकारियों के मुताबिक, चटगांव मेट्रोपोलिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम ने याचिका खारिज की, क्योंकि वकील के पास चिन्मय दास की ओर से याचिका दायर करने का अधिकार पत्र (पावर ऑफ अटॉर्नी) नहीं था। वकील रवींद्र घोष ने अदालत से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, जब दूसरे वकील ने अदालत को बताया कि रवींद्र घोष के पास चिन्मय दास की ओर से उनका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार पत्र नहीं है, तो जज ने उनकी जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि घोष ने कहा कि दास को झूठे और मनगढ़ंत मामले में फंसाया गया है, जबकि वे डायबिटीज, अस्थमा और अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं।
भारत ने जताई ये उम्मीद
वहीं, भारत ने उम्मीद जताई है कि सुनवाई ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ होगी. उन्होंने कहा कि अरेस्ट किए गए अल्पसंख्यकों ( हिंदुओं ) के पास कानूनी अधिकार हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए. नई दिल्ली ने ढाका में अंतरिम सरकार के अफसरों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बार-बार अपील की है. सोमवार को ढाका की अपनी यात्रा के दौरान फॉरेन सेक्रेटरी विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन के साथ बैठक की. उन्होंने मीटिंग के दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से जुड़ी चिंताओं से ढाका को अवगत कराया था.