नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक, कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का घोर विरोध किया है। इतिहास कह रहा है आरक्षण के विरोध में लंबी-लंबी चिट्ठियां स्वयं नेहरू जी ने लिखी है, मुख्यमंत्रियों को लिखी है। इतना ही नहीं, सदन में आरक्षण के खिलाफ लंबे-लंबे भाषण इन लोगों ने किए हैं। बाबा साहेब अंबेडकर समता के लिए और भारत में संतुलित विकास के लिए आरक्षण को लेकर आए… लेकिन उन्होंने (कांग्रेस) इनके खिलाफ झंडा ऊंचा किया हुआ था। दशकों तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को डिब्बे में डाल दिया था। जब कांग्रेस को देश ने हटाया, जब कांग्रेस गई… तब जाकर ओबीसी को आरक्षण मिला… ये कांग्रेस का पाप है।
लोकसभा में पीएम मोदी ने संविधान के 75 वर्ष के गौरवशाली यात्रा पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा- कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के लंबे इतिहास में एक ही परिवार ने राज किया है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति, इसकी परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। पीएम मोदी ने आगे कहा- 1947 से 1952 इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। चुनाव नहीं हुए थे। एक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर खाका खड़ा हुआ था। 1952 के पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था। जनता का कोई आदेश नहीं हुआ था। अभी अभी तो संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाया था। तब उन्होंने ऑर्डिनेंस कर के संविधान को बदला और किया क्या- अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। ये संविधान निर्माताओं का भी अपमान था, लेकिन वहां उनकी चली नहीं। बाद में जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी का हथौड़ा मार दिया। वो जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए, वो उन्होंने पीछे के दरवाजे से किया। जो चुनी हुई सरकार के नेता नहीं थे, उन्होंने ये किया। पीएम मोदी ने कहा- नेहरू जी ने उस दौरान एक चिट्ठी लिखी थी। अगर संविधान हमारे रास्ते में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। जब देश में संविधान नहीं था। तब राजेंद्र प्रसाद जी ने चेताया था कि यह गलत कर रहे हो। तब हमारे स्पीकर ने भी इसे गलत बताया था। आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण जैसी बड़ी शख्सियतों ने भी इसे गलत करार दिया, लेकिन नेहरू जी का अलग संविधान चलता था। इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह नहीं मानी और उनकी राय को दरकिनार कर दिया। आपातकाल को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तब कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौर में अदालत के पंख भी काट दिए गए थे. देशवासियों को जानने की जरूरत है कि यह किसी और ने नहीं बल्कि इंदिरा गांधी की सरकार ने ही किया था. तब उनको कोई रोकने वाला भी नहीं था. जब इंदिरा गांधी चुनाव को कोर्ट ने रद्द कर दिया और पद छोड़ने की नौबत आ गई तो उन्होंने संविधान को ताक पर रखकर आपातकाल लगा दिया. इस तरह संविधान का गला घोंटा गया. पीएम मोदी ने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने तभी पं. नेहरू को संविधान संशोधन न करने को लेकर सचेत किया था लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं माना. पीएम ने कहा कि आगे भी कांग्रेस सरकार को संविधान संशोधन करने की आदत सी बन गई. कांग्रेस ने समय-समय पर संविधान का ही शिकार किया. संविधान की आत्मा का लहूलुहान किया. एक बार नहीं कई बार संविधान बदले गए. पीएम मोदी ने इस दौरान आरक्षण को लेकर भी कांग्रेस की सरकार पर हमला किया. उन्होंने कहा कि पं. नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण का घोर विरोध किया. इतिहास इसका गवाह है. खुद पं. नेहरू ने आरक्षण के विरोध में लंबी-लंबी चिट्ठियां लिखी थीं. सदन में आरक्षण के खिलाफ लंबे-लंबे भाषण दिए थे. दशकों तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को डिब्बे में डाल कर रखा था. जब कांग्रेस हटी तो गरीबों, पिछड़ों को न्याय मिला. पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं संविधान के प्रति विशेष सम्मान व्यक्त करना चाहता हूं. मेरे जैसे कई लोग हैं जो यहां तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन यह संविधान ही था जिसकी वजह से हम यहां तक पहुंचे. यह संविधान की ताकत थी और लोगों का आशीर्वाद था.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश में आपातकाल लगाकर संविधान की धज्जियां उड़ाईं. उन्होंने कहा कि आज संविधान के 75 साल पूरे हो रहे हैं, लेकिन हमारे देश में 25 साल और 50 साल भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन याद कीजिए क्या हुआ था. हमारे देश में आपातकाल लगाया गया था. संविधान को नोच लिया गया. संवैधानिक व्यवस्थाओं को खत्म कर दिया गया. नागरिकों के अधिकारों को लूटा गया. कांग्रेस के माथे पर लगा यह पाप कभी नहीं धुलेगा. पीएम मोदी ने आगे कहा- यह परंपरा यही पर नहीं रुकी, नेहरू ने जो शुरू किया था, जिसे इंदिरा गांधी ने आगे बढ़ाया, इसी वजह से राजीव गांधी की सरकार उस वृद्ध महिला से हक छीन लिया था जिसे कोर्ट ने हक दिया था। शाहबानो की भावना, कोर्ट की भावना को राजीव गांधी ने नकार दिया था, उन्होंने संविधान को कुचल दिया था। उन्होंने न्याय के लिए एक बूढ़ी महिला का साथ नहीं दिया बल्कि कट्टरपंथियों के साथ चले गए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया, लेकिन बात यहां पर नहीं रुकी। संविधान के साथ खिलवाड़ करने का लहू उनके मुंह पर लग चुका था। पीएम मोदी ने आगे कहा- इतना ही नहीं और एक पीढ़ी आगे चलें तो उस पीढ़ी ने भारत के संविधान के तहत देश की जनता जनार्दन देश की सरकार चुनती है। उस सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट ने जो निर्णय किया। संविधान का अपमान करने वाले अहंकार से भरे लोगों ने पत्रकारों और कैमरों के सामने कैबिनेट के उस फैसले को फाड़ दिया। संविधान के साथ खिलवाड़ करना, उसे न मानना, ये उनकी आदत हो गई थी। और दुर्भाग्य देखिए- एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।
अटल जी की सरकार ने आदिवासी मंत्रालय बनाया था: PM मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग बड़ी बड़ी कथाएं सुनाते हैं, क्या इस देश में आदिवासी समाज पहले नहीं था, लेकिन आजादी के कई दशकों के बाद भी इतना बड़ा आदिवासी समूह के लिए अलग से मंत्रालय नहीं बनाया गया. अटल जी की सरकार ने अलग से आदिवासी मंत्रालय बनाया. हमारा मछुआरा समाज अभी-अभी आया है क्या, क्या इस पर पिछली सरकारों की नजर नहीं गई. हमने उनके लिए अलग से मंत्रालय बनाया.
गरीबों को मुश्किल से मुक्ति हमारा मिशन है: PM
पीएम मोदी ने कहा कि इस देश में हममे से कोई ऐसा नहीं होगा जिसे विश्वकर्मा की जरूरत न पड़ती हो. हमने उनके लिए व्यवस्था की. बैंक लोन देने की व्यवस्था की. ट्रांसजेंडर जिसका परिवार ने दुत्कार दिया, हमने उनकी सुरक्षा के लिए काम किया. हमने दिव्यांगजनों के लिए काम किया. गरीबों को मुश्किल से मुक्ति हमारा मिशन है.
हिंदुस्तान में सबसे बड़ा जुमला गरीबी हटाओ था, बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान हमें दिशा निर्देश देता है. हमारे कांग्रेस के साथियों को एक शब्द बहुत प्रिय है. वो शब्द है जुमला. कांग्रेस के हमारे साथी उनको दिन रात जुमला, लेकिन देश को पता है कि देश में अगर सबसे बड़ा जुमला कोई था तो वो था गरीबी हटाओ. ये ऐसा जुमला था, उनकी राजनीति की रोटी तो पकती थी लेकिन गरीब उसमें पिसता था. आपने गरीबों और गरीबी को टीवी पर देखा था. आपको उनके हालात के बारे में पता नहीं था.
सदन में रखे 11 संकल्प
पीएम ने सदन के सामने 11 संकल्प रखे। पहला संकल्प नागरिक और सरकार अपने कर्तव्यों का पालन करे। दूसरा संकल्प हर क्षेत्र और समाज को विकास का लाभ मिले। तीसरा संकल्प भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो। भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो। चौथा संकल्प देश के कानून, नियम और परंपरा के पालन में देश के नागरिक में गर्व का भाव हो। पांचवां संकल्प गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो। छठवां संकल्प देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले। सातवां संकल्प संविधान का सम्मान हो। राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए। आठवां संकल्प आरक्षण न छीना जाए। धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे।
संविधान भेदभाव की अनुमति नहीं देता
पीएम ने कहा कि संविधान भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। हर लाभार्थी को हम योजना का पूरा लाभ दे रहे हैं। जिसका हक है हम उसे पूरा हक दे रहे हैं। सामाजिक न्याय को लेकर हम जी रहे हैं। पीएम ने कहा कि कुछ दलों का राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता का भाव रखने वालों से मैं कुछ पूछना चाहता हूं। देश में योग्य नेतृत्व को अवसर मिलना चाहिए या नहीं? क्या लोकतंत्र को परिवारवाद ने नुकसान पहुंचाया है? युवा राजनीति में आगे आएं इसके लिए हर राजनीतिक दल प्रयास करे। एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है। अगर हम मौलिक कर्तव्यों का पालन करें तो कोई हमें विकसित भारत बनाने से नहीं रोक सकता।
विविधताओं से भरा है हमारा देश
हमारा देश बहुत तेज गति से विकास कर रहा है। भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूत कदम रखा रहा है। ये 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि जब हम आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएंगे तो हम विकसित भारत में मनाएंगे। इसके लिए सबसे जरूरी है भारत की एकता। बाबा साहेब ने कहा था कि जिस तरह से हमारा देश विविधता से भरा है, उसे कैसे एक साथ लाया जाए। मुझे बड़े दुख के साथ कहना है कि आजादी के बाद एक तरफ संविधान निर्माताओं के दिल-दिमाग में एकता थी, लेकिन आज आजादी के बाद सबसे बड़ा प्रहार देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ। हम विविधता को सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने, भारत का भला ना देख पाने वाले लोगों ने, वो विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे। विविधता के इस अमूल्य खजाने को सेलिब्रेट करने के बजाय ऐसे जहरील बीज बोने के प्रयास करते रहे, जिससे देश की एकता को चोट पहुंचती रहे।
धारा 370 को हमने जमीन गाड़ दिया
अगर हमारी नीतियों को देखेंगे तो पिछले 10 सालों में हमारी निर्णयों की प्रक्रिया को देखेंगे तो भारत की एकता को मजबूती देने का हम निरंतर प्रयास करते रहे हैं। आर्टिकल 370 देश की एकता में दीवार बना हुआ था, इसलिए धारा 370 को हमने जमीन गाड़ दिया, क्योंकि देश की एकता हमारी प्राथमिकता है। इस विशाल देश में अगर आर्थिक रूप से हमे आगे बढ़ना है तो भारत में अनुकूल व्यवस्थाएं चाहिए। उसी में से जीएसटी को लेकर चर्चा चलती रही। इकॉनामी में जीएसटी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। वन नेशन वन टैक्स भी इसे आगे बढ़ा रहा है। गरीब अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता था तो गरीब दूसरे राज्य में राशन कार्ड से कुछ नहीं पा पाता था। इसके लिए हमने वन नेशन वन राशन कार्ड लाया। देश के गरीब को अगर मुफ्त में इलाज मिले तो गरीबी से लड़ने की उसकी ताकत बढ़ जाती है, लेकिन अगर वो किसी काम से बाहर गया है, तो ऐसे समय अगर उसे सुविधा नहीं मिली तो ये व्यवस्था किस काम की, इसलिए हमने ये तय किया कि वन नेशन वन हेल्थ कार्ड हो और हमने आयुष्मान कार्ड को जारी किया।