वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए 54908 वाद और निर्धारित की गई 188782042 रुपए की समझौता राशि
अमिताभ श्रीवास्तव
समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है।सुलह समझौता के दौरान सभी का मान,सम्मान बना रहे और सभी को न्याय मिले,इसका ध्यान रखा जाता है।राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है।रविवार को यह बातें जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष रणंजय कुमार वर्मा ने कहीं।वे जिला एवं सत्र न्यायालय में आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे।श्री वर्मा ने कहा कि इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी,तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर और दोनों पक्षों की बातों को सुनकर यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं?इसी को देखते हुए सुलह समझौता कराते थे और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़ते थे।उन्होंने कहा कि सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश,मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी।लोक कल्याण की भावना से ओत प्रोत उसी स्वरूप को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल और एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने के निर्देश दिये जाते हैं,जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित है।श्री वर्मा ने कहा कि लोग मिलजुल कर प्रेम भावना से रहे,जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है।यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं,तो उसे शांत एवं सद्भाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए।यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट एवं तहसीलों में आपसी सुलह समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाता है।इसी क्रम अपर जनपद न्यायाधीश व प्राधिकरण सचिव अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने, शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है।लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्ति के सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके।उन्होंने बताया कि धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद,श्रम विवाद वाद, विद्युत एवं जलवाद बिल, (अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एवं अन्य व्यवहार वाद,पारिवारिक विवाद,भूमि अधिग्रहण वाद,सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन,भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद,जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों,अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गये।कार्यक्रम की शुरुआत जनपद न्यायाधीश श्री वर्मा द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन हुई इसके बाद वृहद राष्ट्रीय लोकदल का शुभारंभ किया गया।अपर जिला जज/नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय लोक अदालत श्रीमती नूरी अंसार तथा प्राधिकरण सचिव श्री वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 54908 वादों को निस्तारित किया गया तथा कुल समझौता राशि 188782042 रुपए है। इसमें पीठासीन अधिकारी (वर्चुअल कोर्ट) प्रत्युश आनंद मिश्रा द्वारा 15,500 वादों का निस्तारण किया गया,जो कि अत्यंत सराहनीय है।इसी क्रम में शेषमणि न्यायाधीश मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा कुल 120 वाद निस्तारण हेतु नियत थे,जिसमें से कुल 78 वाद निस्तारित किये गये तथा इस पर कुल 56430841 रुपए की धनराशि क्षतिपूर्ति निर्धारित की गयी जबकि बैंक रिकवरी से संबन्धित 1381 प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये तथा बैंक संबन्धित ऋण 95575700 रूपए का सेटेलमेंट किया गया, जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक है।यह एलडीएम गणेश सिंह यादव द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है।
पारिवारिक विवाद से सम्बन्धित 89 मुकदमों को निस्तारित किया गया है,जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये।संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 11907 वाद निस्तारित किया गया,जिसके एवज में कुल 222900 रुपए अर्थदण्ड अध्यारोपित किया गया जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 2775 वाद,अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम द्वारा 2016 वादों का निस्तारण किया गया तथा सिविल न्यायालय द्वारा कुल 127 मामलों का निस्तारण किया गया,जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किया गया है।इसी कड़ी में राजस्व मामलों से संबन्धित 25771 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किये गये।राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान राहुल कुमार कात्यायन, प्रधान न्यायाधीश,पारिवारिक न्यायालय,राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव तृतीय,पीठासीन अधिकारी,कामर्शियल न्यायालय, अयोध्या,श्रीमती अल्पना सक्सेना,अपर प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय,अपर जनपद न्यायाधीश/प्राधिकरण, सचिव अनिल कुमार वर्मा व नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत मती नूरी अंसार अपर जनपद न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-द्वितीय व अन्य सम्मानित न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।