ध्रुव जैसी अविरल भक्ति वयाप्त होने पर निश्चित ही होगी परमात्मा की प्राप्ति: श्रीधराचार्य

रामनगरी की सिद्धपीठ अशर्फी भवन में आयोजित पंचनारायण महायज्ञ अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत परायण श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। रामनगरी की प्रसिद्ध पीठ अशर्फी भवन में जगदगुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज के सानिध्य में विविध धार्मिक आयोजन निरंतर जारी है।इसी क्रम में पंचनारायण महायज्ञ अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत परायण श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में दक्षिण से पधारे हुए आगम शास्त्र के निष्णात विद्वानों द्वारा प्रातः काल भगवान श्री विश्वक सेन यज्ञ नारायण का षोडशोपचार पूजन के साथ साथ यज्ञ का प्रारंभ हुआ।इसमें विशेष हवन द्रव्य मधु घृत तिल पायस मूंग पलाश अपामार्ग समिधा से आहुतियां प्रदान की जा रहीं हैं।श्रीमद् भागवत का पाठ कर रहे 108 विद्वानों को अनंत श्री विभूषित जगतगुरु स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज के द्वारा गर्म कम्बल और दक्षिणा प्रदान की गई।मंदिर प्रांगण में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का आगम पद्धति से पूजन अर्चन एवं नित्य वृहद भंडारे का आयोजन हो रहा है। यज्ञ से परमात्मा तो प्रसन्न होते ही हैं,अन्तरात्मा पर्यावरण मन भी पवित्र होता हैं।श्रीमद् भागवत कथा का विस्तार करते हुए महाराज श्री ने कहाकि ध्रुव के जैसी अविरल भक्ति यदि हम सभी जीवों में व्याप्त हो जाए तो निश्चित ही हमें परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है।परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग बड़ा ही कठिन है। वेद वेदांत का परिपक्व फल है श्रीमद् भागवत कथा के मध्य में अयोध्या के पूज्य संत महंत पधारे संतों के आशीर्वचन दर्शन पाकर सभी भक्त आनंदित हुए। यज्ञ का समय प्रातः सात बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा शाम चार से सात बजे तक है।

(अमिताभ श्रीवास्तव)

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