पुलिस की कड़ी सुरक्षा में निकाली गयी धम्म यात्रा

स्तूप के किनारे मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाकर की पूजा अर्चना
डॉ0 धम्मपाल महाथैरो ने ध्यान करने की दी सलाह

मेरापुर, समृद्धि न्यूज। बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर संकिसा में भगवान बुद्ध की तीन झांकियों के साथ धम्म यात्रा स्तूप के लिए रवाना हुई।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन शुक्रवार सुबह 7.30 बजे धम्मा लोको बुद्ध विहार संकिसा से प्रबंध समिति के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य ने धम्म यात्रा का फीता काटकर एवं महोत्सव के आयोजक डॉक्टर धम्मपाल महा थैरो ने पंचशील ध्वज फहराकर भगवान बुद्ध की तीन झांकियों के साथ बौद्ध अनुयायियों की धम्म यात्रा को पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में स्तूप के लिए रवाना किया। धम्म यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था हेतु कायमगंज सीओ सोहराब आलम एवं मेरापुर थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह फोर्स के साथ रहे। संतोष बौद्ध ने स्तूप परिसर के गेट पर पेयजल की बोतलों की पर्याप्त व्यवस्था की। संकिसा निवासी मनोज बौद्ध ने कंबोडिया बुद्ध विहार के सामने धम्म यात्रियों को बिस्कुट के पैकेट एवं पेयजल उपलब्ध कराया। बौद्ध अनुयाई बौद्ध धर्म की क्या पहचानए मानव मानव एक समान। जब तक सूरज चांद रहेगा बौद्ध धर्म का नाम रहेगा। बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि आदि नारे लगाते हुए ढोल नगाड़े के साथ बौद्ध अनुयायियों की धम्म यात्रा स्तूप परिसर में पहुंची। धम्म यात्रियों ने स्तूप के तीन बार परिक्रमा लगाए। परिक्रमा के बाद आयोजक भिक्षु डा0 धम्म पाल महाथैरो आदि बौद्ध भिक्षुओं एवं बौद्ध अनुयायियों ने स्तूप के किनारे मोमबत्ती अगरबत्ती जलाकर बुद्ध वंदना की। बुध्द वंदना के बाद डा0 धम्मपाल महाथैरो ने भगवान बुद्ध के सूत्रों का अनुवाद कर उनके कृत्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शुकर्म करो जीवन बहुत कम है।अमूल्य जीवन बर्बाद मत करो। विपसना करो विपसना करने से ऊर्जा प्राप्त होती है। डा0 धम्मपाल महाथैरो ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्रीलंका में कैंडी में भगवान बुद्ध के रखे पवित्र दांत के दर्शन कराए जाते हैं। लाहौर में रखे भगवान बुद्ध के पिंड के दर्शन कराए जाते हैं। इस अवसर पर भिक्षु अश्वघोष, भिक्षु कंचन बोधि भिक्षु धम्म मित्र आदि बौद्ध भिक्षुओं के अलावा, पखना साधन सहकारी संघ के अध्यक्ष रघुवीर शाक्य, बुद्ध विहार के प्रबंधक राहुल शाक्य, महेंद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह, डा0 देवेश शाक्य आदि बौद्ध अनुयाई मौजूद रहे।

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