उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों के द्वारा निजी प्रैक्टिस से जुड़े मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्ती की है. कोर्ट ने प्रदेशभर में निजी प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने और अधूरी रिपोर्ट देने पर नाराजगी जताई और सराकर से ऐसी कार्रवाई करने के निर्देश दिए है जिससे डॉक्टर निजी प्रैक्टिस छोड़ें. HC ने इस संबंध में प्रमुख चिकित्सा शिक्षा सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब करते हुए जवाब मांगा है.
डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने से जुड़ी याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई है. ये याचिका मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के किडनी रोग विभाग अध्यक्ष के डॉक्टर अरविंद गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है. जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने पर ऐसी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं जिससे वो खुद ही निजी प्रैक्टिस से दूर हो जाएं. डॉ. अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दिया. प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि अब तक 37 जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है जिसकी जांच की जा रही है, ताकि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जा सके. अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट से कुछ और समय देने की मांग की.कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई पर दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि प्राइवेट प्रैक्टिस करते पाए गए कुछ डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है. मगर इस हलफनामे में कोई जानकारी नहीं दी गई की कार्रवाई कहां तक पहुंची. कोर्ट ने कहा कि यह अदालत सरकार से अपेक्षा करती है कि वह जल्दी कार्रवाई पूरी करेगी ताकि प्राइवेट प्रैक्टिस वाले सरकारी डॉक्टरों को कड़ा संदेश दिया जा सके. मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी, तब तक कृत कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया है.
हाईकोर्ट ने कार्रवाई न होने पर जताई नाराजगी
कोर्ट ने राज्य उपभोक्ता आयोग की ओर से निजी नर्सिंग होम में सेवा देने के लिए लगे 10 लाख रुपये के हर्जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य से जवाब मांगा था. जिस पर प्रमुख सचिव ने हलफनामा दाखिल जानकारी दी कि छह जनवरी को निर्देशों के तहत 37 जिलों के डीएम ने निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों को चिन्हित किया है. इनके खिलाफ जांच की जा रही है, जिसके बाद आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सचिव ने जो हलफनामा पेश किया है, उसमें ये पाया गया है कि सरकार उन डॉक्टरों पर कार्रवाई करने में मौन है जो निजी प्रैक्टिस में लिप्त पाए गए हैं. अपर महाधिवक्ता ने इस मामले में कोर्ट को जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है और बाकी जिलों में भी ऐसे डॉक्टरों की रिपोर्ट पेश करने के लिए कुछ समय देने की मांग की.