फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रमजान में लोग अमन के साथ नमाज़ अदा कर रहे है। शहर फतेहगढ़ की ऐतिहासिक व गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल खानकाह मखदूम शाह सय्यद शहाबुद्दीन औलिया अलैहि रहमा के नायब सज्जादा नशीन शाह मुहम्मद वसीम उर्फ मुहम्मद मियां बताया मुल्क भर की तकरीबन मस्जिदों व दरगाहों से मुल्क की तरक्की और कामयाबी, आपसी भाई चारे बढ़ावा देने के लिए दुआएं की गई।
वहीं आने वाला जुमा भी होली के त्यौहार के दरमियानी होगा और साथ ही रमजान का महीना भी है, जिसमें सभी को चाहिए कि त्यौहार और रमजान दोनों पर्वों का ख्याल रखे और प्रशासन का सहयोग दे। जिसके सहयोग से और आपसी भाईचारे से अमन और अमान दोनों हमेशा की तरह इस बार भी कायम रहेगा और शरारती तत्वों पर ध्यान न दें और प्रशासन का पूरा पूरा सहयोग दे उनके सहयोग से हमेशा की तरह हर पर्व आपसी भाई चारे के साथ मनाया जाएगा। रमजानुल मुबारक महीने में इबादतों के पवित्र महीने रमजान उल मुबारक के पहले असरे में रोजदारों में उत्साह नजऱ आया। वहीं यह महीना रहमतों और बरकतों के महीने रमजान के रोजे की फजीलत बताते हुए कहा कि रोजा इनसान को तकवा एवं परहेजगार बनाता है। इस माह में इबादतों का सवाब कई गुणा बढ़ा दिया जाता है। रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है। लोगों को चाहिए कि वे रोजे रख कर पूरे माह रब की खूब इबादत करें। उन्होंने कहा कि रमजान का अहतराम करना चाहिए। रमज़ान के रोजे की कई फजीलतें हैं, इनमें से कुछ प्रमुख फजीलतें ये हैं। रोज़ा रखने से गऱीबों की भूख का अहसास होता है। रमज़ान में रोज़ा रखने और इबादत करने से अल्लाह की रहमत मिलती है। रोजा रखने से तकवा और परहेजग़ारी आती है। रोजा रखने से इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। रमजान में रोजा रखने से भूख का मतलब समझ आता है। रोज़ा रखने से वक्त की पाबंदी का एहसास होता है। रोज़ा रखने से अल्लाह की इबादत करने और दान देने की है। रोज़ा रखने से कुरान पढऩे की परंपरा है।
रमज़ान और होली दोनों त्यौहार भाईचारे की मिसाल: नायब सज्जादा नशीन
