वार्डब्याय न मिलने खुद स्ट्रेचर से एंबूलेंस तक पिता को लेकर पहुंचा पुत्र
मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला प्रशासन सब जानकर भी बना अंजान
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। लोहिया अस्पताल की अव्यवस्थायें सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। आये दिन कोई कोई ऐसी घटना देखने को मिलती, जो कई सवाल खड़े करती है। सूत्रों के अनुसार इसमें सीएमएस की लापरवाही मुख्य कारण है।
जानकारी के अनुसार जनपद के सबसे बड़े लोहिया अस्पताल की स्थापना सपा शासनकाल में की गयी थी। तब जनपद तथा आसपास के लोगों को उम्मीद जागी थी कि चलो अब बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मुहैया होंगी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जायेगा। आजकल आये दिन कोई न कोई ऐसी घटना घट रही है, जो अस्पताल प्रशासन पर कई सवार खड़े कर रही है। शनिवार को इमरजेंसी में फतेहगढ़ के मोहल्ला हाथीखाना निवासी रामप्रकाश उम्र करीब ६७ वर्ष पुत्र स्व0 श्रीराम पहुंचे थे। वह कई घंटे इमजरेंसी में भर्ती रहे। जब हालत में कोई सुधार न हुआ, तो चिकित्सक डॉ0 अभिषेक चतुर्वेदी ने उन्हें बाहर के लिए रेफर कर दिया। इस दौरान वहां पर कोई भी वार्डब्याय नहीं मिला, जो स्ट्रेचर से मरीज को बाहर एंबूलेंस तक पहुंचा देता। काफी देर इंतजार करने के बाद मरीज रामप्रकाश का पुत्र गौरव आखिरकार खुद स्ट्रेचर पर पिता को लेकर बाहर एंबूलेंस तक गया। तब कहीं पिता को एंबूलेंस में शिफ्ट कर बाहर दिखाने के लिए चला गया।
सीएमएस की लापरवाही आ रही सामने
बताते चले कि जब से सीएमएस अशोक प्रियदर्शी ने चार्ज लिया है, तब से लोहिया की व्यवस्थायें गड़बड़ा गयी हैं। डाक्टर अपनी मनमानी पर उतारु हैं। समय से कोई चिकित्सक अस्पताल नहीं पहुंच रहा है। अस्पताल में गंदगी तथा अव्यवस्थायें हावी हैं। बिजली चली जाने पर जनरेटर नहीं चलता है। जिससे कर्मचारियों को मोबाइल की रोशनी में काम करते देखा गया। जबकि शासन से डीजल आदि के लिए बराबर पैसा आता है। जो सीएमएस की जेब में चला जाता है।
सर्जन की कमी से जूझ रहा लोहिया अस्पताल
लोहिया अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। यहां पर कोई भी सर्जन नहीं है। जिससे चलते बीते दिन एक महिला जो पथरी का आपरेशन करानेे आयी थी, वह चार दिन तक अस्पताल की सीढिय़ों पर पड़ी रही और दर्द से कराहती रही, लेकिन उसे उपचार नहीं मिला। उसका पति अस्पताल के चिकित्सकों की गणेश परिक्रमा करता रहा। बाद में वह उसे लेकर अनंत्र अस्पताल में दिखाने के लिए चला गया। यह कोई पहला मामला नहीं है। आये दिन ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं।
इन्र्टशिप करने वाले छात्र कर रहे मरीजों का उपचार
लोहिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का कहना है कि डाक्टर की कमी के चलते इन्र्टशिप कर रहे छात्रों को लोहिया में मरीजों का उपचार करते देखा जाता है। जिससे कभी भी कोई केस बिगड़ सकता है। बीते दिन जब सीडीओ ने लोहिया अस्पताल का निरीक्षण किया था, तो दो बाहरी लोगों को उन्होंने पकड़ा था। जिन पर कार्यवाही के निर्देेेेश भी दिये गये थे, लेकिन सीडीओ की कार्यवाही के बाद भी चिकित्सकों पर कोई असर नहीं हुआ और अस्पताल फिर पुराने ढर्रे पर चलने लगा।
अल्ट्रासाउंड व एक्सरे मशीनें अक्सर रहतीं खराब
अस्पताल में अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे मशीनों की यदि बात की जाये, तो वह अक्सर खराब ही रहती हैं। जिससे दूरदराज से आने वाले मरीज बैरंग लौट जाते हैं। जो कुछ साधन सम्पन्न होते हैं हैं वह तो प्राइवेट करवा लेते हैं, तो गरीब व्यक्ति होता है, वह भगवान भरोसे छोड़ देता है। बीते दिन एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड सेंटर के बाहर मरीजों की काफी भीड़ देखी गयी थी, लेकिन मशीनें खराब होने के चलते वह इन्तजार करने के बाद अपने-अपने घरों को लौट गयी। इसके लिए अस्पताल अस्पताल के सीएमएस को जिम्मेदार ठहरान उचित होगा।