इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला,

प्रयागराज समृद्धि न्यूज़।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला,

कोर्ट ने कहा आपराधिक अदालतें अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं कर सकती,

उन्हें ऐसा करने का कानूनी अधिकार नहीं है,

वह केवल लिपिकीय या टंकड़ त्रुटि को ही ठीक कर सकती है,

इसके अलावा उसमें बदलाव या समीक्षा नहीं कर सकती है,

मेरठ के गोविंद उर्फ अरविंद व तीन अन्य की याचिका,

कोर्ट ने कहा कि एक बार फैसला सुनाने के बाद उसी मामले में फिर से गुणदोष के आधार पर विचार नहीं किया जा सकता,

कोर्ट ऐसा करती है तो यह पहले के आदेश में बदलाव या समीक्षा होगी,

जो सीआरपीसी की धार 362 द्वारा पूरी तरह प्रतिबंधित है,

हाईकोर्ट ने मोतीलाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का उल्लेख भी किया,

इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लिपिकीय या टंकड़ त्रुटि को ठीक करने के अलावा उस पर नए सिरे से विचार करने से मना कर दिया था,

मेरठ सत्र न्यायालय ने याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 184, 149, 302, 506, 120 के तहत नए सिरे से विचार करने के लिए सम्मन किया गया था,

जिसे याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी,

जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंंगल बेंच ने दिया आदेश।

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