कम्पनी के चार लोगों को घटना के लिए मृतक ने ठहराया जिम्मेदार

मरने से पहले व्हाट्सएप गु्रप पर जारी किया सुसाइट नोट पैसे मांगने पर कम्पनी के लोगों ने भिजवाया था जेल

फर्रुखाबाद। मृतक दिनेश यादव ने गांव रतनपुर के नाम से बने व्हाट्सएप पर रात्रि 3:45 पर सुसाइड नोट भेजा था कि सभी उच्चाधिकारी को सूचित किया जा रहा है कि मैं दिनेश यादव ग्राम रतनपुर पोस्ट कंझना थाना जहानगंज का निवासी हूं। कानपुर की कंपनी श्री कृष्णा कैटल फीड इंडस्ट्रीज में डिस्टीब्यूटर के तौर पर फर्रुखाबाद में काम कर रहा था। कम्पनी के एमडी दीपक अग्रवाल और अकाउंटेंट पंकज श्रीवास्तव, एरिया मैनेजर धीरेन्द्र कुमार शर्मा, प्रोडक्शन मैनेजर संतोष राय ने मुझे बहुत विश्वास में लेकर फर्रुखाबाद से मक्का की खरीदारी करने को कहा। मैने 2016-17 में मंडी और अपने आसपास गांव से खरीदकर लगभग 40 लाख की मक्का भेजी, जो की कंपनी की ही गाड़ी आती थी उस पर मक्का भेज देता था। हमारा काम सही से चल रहा था। 15 दिन बाद पेमेंट के लिए कहा तो इन्होंने मुझे 14 लाख का पशु आहार भेज दिया और रुपया मागा तो आना कानी करने लगे। मेरी इनसे कहासुनी हो गई और कहने लगे कि क्या साक्ष्य है कि तुम्हारे पैसे मेरे पास है। तब मैंने काम बंद कर दिया। कुछ दिन बाद एरिया मैनेजर धीरेन्द्र कुमार शर्मा मेरे घर आए और कहा की काम चालू करो और तुम्हारा हिसाब करवा दूंगा। हम इनके साथ कानपुर गये तो इन्होंने मुझे सीधा चौबेपुर थाना ले गए और उल्टा हमारे ऊपर मुकदमा दर्ज करवाया और मुझे जेल भेज दिया। जेल से बाहर आया तो पंकज और धीरेंद्र दोनों लोगों से हमने बात की तो बोले तुम्हारे पास कोई साक्ष्य नहीं हैं की तुमने हमारी कंपनी में कोई माल दिया। उन्होंने कहा कि घबराओ मत हम आप का मेटर निपटा देंगे। बस आज कल करते हुए मेरा मुकदमा पंकज ने अपने पास कर लिया और हमको कोर्ट नहीं आने को कहा और कहा हम आप का मुकदमा देखे रहेंगे। लॉकडाउन लगने के बाद पंकज ने मेरे खिलाफ वारंट निकलवा दिया और कहा काम करों तुम्हें कुछ नहीं होंने देंगे। तो मैंने कहा कि मेरा मुकदमे में समझौता करवा दो। आरोपियों ने 5 लाख रुपया की मांग की। तो मैंने 5 लाख रुपये दे दिये। मुकदमा वापस करने को कहा तो आरोपियों ने फिर वारंट जारी करवा दिया। पशु आहार लेने की बात कही तो आरोपियों ने मना कर दिया। अब बताओ की हम किस तरफ जाए मेरी जिंदगी खत्म हो गई। किस तरह अपने बच्चों और घरवालों को समझाऊं की हमने क्या किया। जिंदगी में मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, क्योंकि इन लोगों को जो हमने रुपया और मंडी में मक्का का रुपया बाकी था वो हमने बाजार से उठाकर दिया था। उनका भुगतान हमने धीरे-धीरे किया। मेरे पास इस समय कुछ भी नहीं बचा है कि हम कुछ व्यापार कर सकूं। मैं जीवित रह सकूं आप सभी से अनुरोध हैं की कि मेरी मदद करें। हम अपने बीबी बच्चों के साथ आत्महत्या कर रहा हूं। इसमें मेरे घरवालों का कोई दोष नहीं है। इसके जिम्मेदार दीपक अग्रवाल, पंकज श्रीवास्तव, धीरेंद्र कुमार शर्मा, संतोष राय होंगे। इन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कहीं।

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