फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रंजिश बोलेरो से टक्कर मारकर लाठी-डंडों से मारपीट कर हत्या कर देने के मामले में अपर जिला जज द्वितीय महेंद्र सिंह ने हवलदार उर्फ नेता पुत्र लालसहय निवासी सलेमपुर नवाबगंज, जगदीश पुत्र हरिराम निवासी अहमदपुर थाना नयागांव एटा, वीरपाल पुत्र दयाराम निवासी एत्मादपुर थाना बिछवा मैनपुरी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। विगत 7 वर्ष पूर्व थाना नवाबगंज कनासी निवासी प्रकाश पुत्र तेजराम ने पुलिस को दी गयी तहरीर में दर्शाया था कि 11जून 2016 को सुबह मैं अपने घर से साइकिल से मंझना होते हुए फर्रुखाबाद जा रहा था। जैसे ही मैं मंझना गांव से लगभग एक किलोमीटर आगे गंगलऊ परमनगर गांव की ओर आया तो देखा कि सामने से एक बोलेरो गाड़ी व बाइक आती दिखायी, इस बीच बोलेरो सवारों ने बाइक में टक्कर मारकर सड़क किनारे खेतों में गिरा दिया और बोलेरो से तीन चार अज्ञात व्यक्ति उतरे और बाइक सवार पर लाठी-डंडो व सरिया से हमला कर दिया। जब मैं व आपास के लोग मौके पर पहुंचे तो आरोपीगण भाग चुके थे। मैंने घायल को अपने पुत्र विकास उर्फ शिवप्रकाश 35 वर्षीय के रूप में पहचान की। उसको देख मैं भी बेहोश हो गया। मुझे व मेरे पुत्र को आसपास के लोगों ने एम्बुलेंस से इलाज के लिए डा0 राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा। जहांं डॉक्टर ने विकास उर्फ शिवप्रकाश को मृतक घोषित कर दिया। पुलिस ने अज्ञात के विरूद्ध हत्या में मुकदमा दर्ज कर लिया था। वादी ने अपने बयानों में बताया कि मेरी पुत्रवधू संगीत ने बताया कि हम लोग नवाबगंज में रहते थे। वहीं पर पड़ोस में रोशनी राजपूत जो कि कथा वाचक व वकील थी। उसके कोई संतान नहीं थी और हम लोगों का एक दूसरे के यहां जाना आना था। रोशनी हमारे बच्चों को अपने बच्चों की तरह मानने लगी थी। रोशनी के मुंह बोले पिता हवलदार अंदर ही अंदर रंजिश मानने लगे थे। इसी बीच रोशनी फतेहगढ में रहने लगी और मेरे पति से कहा कि तुम किराए के मकान में रहते हो मेरे मकान की चाबी लो और इसमे रहो। इसके बाद हवलदार ने विकास उर्फ शिवप्रकाश को जान से मारने की धमकी दी थी। विवेचक ने साक्ष्य गवाह के आधार न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सुनवाई के पूर्ण होने के बाद बचाव पक्ष की दलील व शासकीय अधिवक्ता दीपिका कटियार, अशोक कटियार, अनिल कुमार बाजपेयी की कुशल पैरवी के आधार पर अपर जिला जज द्वितीय महेंद्र सिंह ने हत्या के मामले में हवलदार, जगदीश, वीरपाल को दोषी करार देते हुए धारा 302 में आजीवन कारावास व 15-15 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अदा न करने पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। धारा 120बी में उक्त तीनों को एक-एक वर्ष का कारावास व पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।