मेले के चलते दिन भर लगता रहा जाम
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। हिंदू धर्म में मां दुर्गा के अनेक रूपों का महत्व है। मां शीतला भी दुर्गा जी का ही एक स्वरूप है। माता शीतला को शीतलता प्रदान करने वाला माना गया है। शीतला अष्टमी का पर्व कई मायनों में महत्वपूर्ण भी है। मान्यता है कि शीतला माता चर्म रोगों से भक्तों की रक्षा करती हैं। यही वजह है कि शीतला अष्टमी का पर्व ऋतु परिवर्तन का संकेत भी देता है। शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन किया जाता है। इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती है। चैत्र मास की सप्तमी और अष्टमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। इस बार 21 और 22 मार्च को शीतला सप्तमी और अष्टमी मनायी जाएगी। शुक्रवार को बढ़पुर स्थित शीतला माता मंदिर में सप्तमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भक्तों ने अपनी श्रद्धानुसार पूजा अर्चना की। हर साल होली के बाद यह पर्व मनाया जाता है। ग्रामीण इलाकों व दूर दराज से लोग बढ़पुर शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना करने व बच्चों को मुंडन संस्कार कराने आते है। इस दिनों व्रत रखा जाता है और माता शीतला ही पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की सलामती और घर-परिवार की सुख समृद्धि के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाते हैं और पूरे दिन यही बासी खाना खाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इसलिए एक दिन पहले ही भोग और प्रसाद तैयार किया जाता है। वहीं अष्टमी पर इस साल ये खास तिथि 22 मार्च की सुबह 4 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 23 मार्च की सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
शीतला सप्तमी और अष्टमी का महत्व
शीतला सप्तमी और अष्टमी को लेकर सिर्फ धार्मिक मान्यताएं ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा भी है। दरअसल गर्मी के मौसम में ताजा, अधिक मसालेदार खाना खाने पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। जिस वजह से गर्म भोजन से परहेज कर हल्का भोजन करने से पाचन तंत्र अच्छा और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
शीतला सप्तमी पर मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब
