फर्रूखाबाद, समृद्धि न्यूज। भगवान विष्णु ने परशुराम अंश के रूप में उस भृगु कुल में अवतार लिया। जिस भृगु के पाद-प्रहार को अपने वक्ष:स्थल पर सहा। इसी भृगुवंश में उत्पन्न होने के कारण वे भार्गव कहलाए। जमदग्नि अयोध्या गये और राम-लक्ष्मण को अपने साथ लाये। राम- लक्ष्मण ने कीर्तिवीर को मारा और गोमती नदी में स्नान किया, तभी से इस घाट का नाम रामघाट हो गया।
समाजसेवी राहुल तिवारी ने बताया कि जमदग्नि ऋषि बहुत क्रोधी थे। परशुराम पिता भक्त थे। एक दिन उनके पिता ने आदेश दिया कि अपनी मां रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दो। परशुराम ने तत्काल अपने फरसे से मां का सिर काट दिया तो जमदग्नि बोले क्या वरदान चाहते हो। परशुराम ने कहा कि यदि आप वरदान देना चाहते है तो मेरी मां को जिंदा कर दीजिए। पहले उनका नाम राम था।
प्राथमिक विद्यालय मदारपुर के प्रधानाध्यापक राजकिशोर शुक्ला ने बताया कि भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ। इसलिए पूरे देश में इसी दिन उनकी जयंती मनायी जाती है। हमारी शासन से मांग है कि फर्रुखाबाद में भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की जाये साथ ही किसी मार्ग का नाम भगवान परशुराम के नाम से रखा जाये। जिससे ब्राह्मण समाज को सम्मान मिले।
अध्यापिका सोनम दुबे ने बताया कि भगवान परशुराम ने त्रेतायुग में ब्रह्माश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि एवं माता श्री रेणुका के परिवार में अक्षय तृतीया को प्रदोष काल में जन्म लिया। पौराणिक वृत्तांत के अनुसार महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न कराये गये पुत्रोष्टि यज्ञ से प्रशन्न होकर देवराज इंद्र के वरदान स्वरुप भगवान परशुराम का अवतरण हुआ। बाल काल में परशुराम ने शस्त्रों की प्रारंभिक शिक्षा अपने पितामाह ऋचीक, पिता जमदग्नि से ग्रहण की।