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नहीं रहे रामलला के सेवादार-आचार्य सत्येंद्र दास

अयोध्या। वर्ष 1992 से प्रभु श्री रामलला की सेवा में रहे श्री राम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास का बुधवार को साकेतवास हो गया।श्री दास बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।पीजीआई लखनऊ में उनका इलाज चल रहा था जहां बुधवार की सुबह सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।अर्चक श्री दास के निधन की सूचना मिलते ही समाज में शोक की लहर दौड़ पड़ी।श्री दास के निधन पर हर धर्म और हर वर्ग के लोगों ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।मुख्य अर्चक श्री दास के साकेतवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है।ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके प्रतिनिधि खाद्य एवं रसद मंत्री सतीश शर्मा ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर का दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।विनम्र श्रद्धांजलि के साथ प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।डीएम चंद्र विजय सिंह व एसएसपी राजकरण नैय्यर ने भी पूज्य आत्मा के श्री चरणों मे श्रद्धांजलि अर्पित की।इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव सिंह सहित बड़ी संख्या में संत व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित अयोध्या धाम के संत धर्माचार्यों ने श्री दास के निधन को अपूर्णीय क्षति बताई।संतों ने कहा कि अर्चक श्री दास ने लगभग बत्तीस वर्ष के सेवाकाल में अनेक उतार चढ़ाव देखें और प्रशासनिक व्यवस्था में मंदिर के अर्चक होने के कारण सहयोगी बने रहे है।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने अर्चक श्री दास दास के निधन पर कहा कि यह संसार नश्वर है,सभी को एक दिन मुक्त होना है।धार्मिक जीवन मूल्यों के प्रति संवेदनशील सदपुरूष की मृत्यु नही होती।उसके द्वारा किये गये सदकार्य उसे चिरकाल तक समाज के मस्तिष्क पर जीवंत रखते है।सतेन्द्र दास जी संत परम्परा का सदैव ध्यान रखा तथा 1992 में श्रीराम लला के अर्चक का दायित्व ग्रहण कर अपनी निष्ठा समर्पित, उनका साकेत गमन हम सभी के लिए पीड़ादायी है।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी महंत दीनेंद्र दास ने कहा कि सत्येन्द्र दास हमारे पड़ोसी रहे।मंदिर की पूजन व्यवस्था के प्रति वह अपने कार्यकाल में सदैव संवेदनशील रहे।इन 30/31 वर्षों में वह हिंदू मुस्लिम समन्वय की चर्चा के केंद्र बिंदु बनते रहे।आज वह साकेतवासी हो गये जिसके कारण अपार दुख हुआ है।श्रीराम लला उन्हे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें।विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा आचार्य सत्येन्द्र दास जी के निधन से धार्मिक जगत को अपूर्णीय क्षति पहुंची है।वर्ष 1990 के पूर्व वह मंदिर आंदोलन में सहयोगी रहे। वर्ष 1992 में प्रशासन द्वारा मंदिर के मुख्य पुजारी नियुक्त होने के पश्चात वह मंदिर व्यवस्था के अंग बनकर सेवारत हो गये। उनके निधन से अपार दुख पहुंचा है।श्रीराम लला उन्हें सदगति प्रदान करें।

 अमिताभ श्रीवास्तव

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