सिर के दो ऑपरेशन, तीन महीने कोमा में और अब बिस्तर पर जीवन… चार भाईयों ने बेरहमी से पीटा था;
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के भोजीपुरा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी, जिसमें एक छात्र पर बेरहमी से हमला किया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों को उम्रकैद की सजा दी है. इस हमले में छात्र की दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी और वह करीब तीन महीने तक कोमा में रहा था.
यह घटना 9 अप्रैल 2020 की है. भोजीपुरा थाना क्षेत्र में रहने वाला 24 वर्षीय जसवंत मौर्य पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहा था. घटना वाले दिन शाम को उसकी भाभी उर्मिला छत पर कपड़े डालने गई थी. तभी पड़ोस में रहने वाले मोर सिंह ने उसे गंदी-गंदी गालियां देनी शुरू कर दी. जब जसवंत ने इसका विरोध किया तो मोर सिंह के साथ उसके भाई नरोत्तम दास, सुरेंद्र और अशोक भी आ गए. चारों ने मिलकर जसवंत पर लोहे की रॉड, खटिया की पट्टी और डंडों से हमला कर दिया. जसवंत को सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं, जिससे वह बेहोश होकर गिर पड़ा.
तीन महीने कोमा में रहा युवक
शोर सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और जसवंत को अस्पताल ले जाया गया. पहले उसे भोजीपुरा सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिर जिला अस्पताल भेजा गया और आखिर में एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज हुआ. इस दौरान उसके सिर के दो ऑपरेशन किए गए. वह करीब तीन महीने तक कोमा में रहा. जब उसे होश आया. तब तक उसकी दोनों आंखों की रोशनी जा चुकी थी. अब वह न चल सकता है. न बोल सकता है और न ही खुद से खाना खा सकता है. उसके हाथ-पैर भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट में 10 गवाहों को पेश किया गया
जसवंत के परिजनों ने इस घटना के बाद भोजीपुरा थाने में हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने जांच के बाद मोर सिंह और नरोत्तम दास के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. कोर्ट में 10 गवाहों को पेश किया गया. इसमें इलाज करने वाले डॉक्टरों की भी गवाही शामिल थी. एडीजीसी संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि जज रवि कुमार दिवाकर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए दोषियों को कड़ी सजा सुनाई. उन्होंने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए सख्त दंड दिया जाना जरूरी है. ताकि समाज में कानून का डर बना रहे. कोर्ट ने अपराधियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए मोर सिंह और नरोत्तम दास को उम्रकैद की सजा सुनाई.
दो और सगे भाइयों को हुई उम्र कैद
अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट्रेक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने एक और मामले में अहम फैसले में दो सगे भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दरअसल बरेली के अलीगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मोहम्मद उमर ने आरोप लगाया था कि 2011 में उसके पड़ोस में रहने वाले तहसील खां से छोटा हाथी (टेंपो) खड़े करने को लेकर विवाद हो गया था. जब वह अपने पिता के साथ बाजार में गया था. जहां उसके पिता पर तहसील खान और उसके भाइयों ने चाकुओं से जानलेवा हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. जिसमें पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. तब से मामला कोर्ट में विचाराधीन था.
एडीजीसी क्राइम संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि दूसरे मामले में आरोपियों ने दुलारे खां पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. जिसमें उसके एक हाथ की नस कट गई थी जिसके चलते उसके हाथ ने पहले की तरह काम करना बंद कर दिया था. अदालत में चली सुनवाई के दौरान 6 गवाह पेश किए गए. जहां आज शुक्रवार को अदालत ने दुलारे खां पर जानलेवा हमला करने के मामले में तहसील खान और उसके भाई साबिर खान को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. साथ ही दोनों पर 1 लाख का अर्थदंड भी लगाया है.