लखनऊ: आउटर रिंग रोड के निर्माण में अनियमितता की जांच सीबीआई ने भी शुरू कर दी है। सीबीआई टीम ने एनएचएआई कार्यालय से प्रॉजेक्ट से संबंधित तमाम जरूरी दस्तावेज कब्जे में ले लिए हैं। इसके साथ निर्माण में शामिल कार्यदायी संस्थाओं की भूमिका भी खंगाली जा रही है।आउटर रिंग रोड के निर्माण का टेंडर गुजरात के नौरंगपुर स्थित मेसर्स सद्भाव इंजिनियरिंग लिमिटेड को सौंपा गया था। फर्म तय अवधि में निर्माण पूरा नहीं करवा पाई। इस पर 14 सितंबर 2022 को एनएचएआई ने एग्रीमेंट समाप्त कर दिया था। इसके बाद एनएचएआई ने सद्भाव की सबलेट फर्म गुड़गांव की गावर कंस्ट्रक्शन को काम दे दिया। सद्भाव, गावर और एनएचएआई के बीच ट्राईपैड एग्रीमेंट होने के बाद सड़क बनी थी, लेकिन निर्माण के सात माह बाद ही सड़क उखड़ने लगी थी।सड़क निर्माण में बरती गई अनियमितताओं को एनबीटी ने इसी साल जुलाई और अगस्त में लगातार समाचार प्रकाशित किए। इसके बाद अब सीबीआई ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, करीब एक सप्ताह पहले सीबीआई की आठ सदस्यीय टीम विभूतिखंड स्थित एनएचएआई के कार्यालय आई थी। टीम में दिल्ली के तीन और लखनऊ सेक्टर के पांच अधिकारी शामिल थे। टीम ने एनएचएआई कार्यालय में काफी देर छानबीन के बाद आउटर रिंग रोड से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए।
कानपुर और गोमतीनगर पुलिस भी कर रही जांच
गोमतीनगर थाने में कोर्ट के निर्देश पर मेसर्स सद्भाव इंजिनियरिंग लिमिटेड के निदेशक शशिन वी पटेल, तरंग मधुकर देसाई, संदीप विनोद कुमार पटेल, अंजली नीरव चौकसी, जतिन ठक्कर, द्विगेश भरत भाई जोशी, संदीप पटेल, मिरठ एन भदलवाल, अरुण पटेल, अतुल एन रूपरेल, सीईओ रोहित मोदी, सीएफओ जतिन ठक्कर, गावर कांस्ट्रक्शन के पदाधिकारी विनोद मोदी और गौरी के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है।