माफियाओं को दिया जा रहा संरक्षण: BJP जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल

फतेहपुर। भाजपा के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। साध्वी निरंजन ज्योति, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष मिश्र और स्थानीय नेता अन्नू श्रीवास्तव इसमें शामिल हैं। यह तीनों भूमाफिया हाजी रजा की अवैध संपत्तियों में हिस्सेदार हैं। इसकी शिकायत सीएम योगी और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह से की है।भाजपा जिलाध्यक्ष ने फूलबाग कालोनी स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। इसमें बताया कि मुख्यमंत्री की जीरो टाॅरेंस नीति के तहत ही भूमाफिया हाजी रजा की अवैध संपत्तियों की शिकायत की थी। मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच शुरू हुई, तो पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री, पूर्व जिलाध्यक्ष व एक और स्थानीय भाजपा नेता को नागवार गुजरी। इसकी वजह तीनों का भूमाफिया की जमीनों में साझीदार होना है।

चुनाव के समय कक्षा 8 की फर्जी मार्कशीट लगाई

जिलाधिकारी ने जांच में मामले को सही पाया, लेकिन वरिष्ठ नेताओं के दबाव के कारण जमीन खाली नहीं कराई जा सकी। मुखलाल पाल ने साध्वी निरंजन ज्योति पर एक और आरोप लगाया कि उन्होंने चुनाव के समय कक्षा 8 की फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल किया। जिलाध्यक्ष ने इन सभी मामलों की जांच कराने की बात कही है।

पूर्व जिलाध्यक्ष ने 200 करोड़ की संपत्ति बनाई

उन्होंने आरोप लगाया पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष मिश्रा ने अपने कार्यकाल में 200 करोड़ की संपत्ति बना ली, जबकि वह जब अध्यक्ष नहीं थे तो 5 -5 हजार रुपए में काम किया करते थे। जब से मैंने मुख्यमंत्री के आदेश पर पशुचार, ग्राम समाज की जमीन, तालाब पर अवैध कब्जा को हटवाने का काम शुरू किया गया, तब से इन लोगों ने मेरे खिलाफ साजिश रची और 50 लाख रुपए लेने का आरोप लगवाया।

पूर्व सांसद करते थे मोरंग घाटों से वसूली

पूर्व सांसद के द्वारा मोरंग घाटों से पैसों की वसूली की जाती थी, क्योंकि घाट वालों के पास रजिस्टर में नाम तक है। जांच टीम में शामिल मुख्य सदस्य पर आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति ने मेरे ऊपर 50 लाख रुपए लेने का आरोप लगाया है, दोनों व्यक्ति सगे रिश्तेदार हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई यह साबित कर दे कि मुखलाल पाल ने किसी भी घाट से एक ट्राली मोरंग लिया है तो वह आत्महत्या कर लेंगे।

जिलाध्यक्ष पर 50 लाख लेने का लगा था आरोप

बता दें कि एक महीने पहले बांदा जिले के एक पदाधिकारी ने मुखलाल पाल पर जिलाध्यक्ष बनवाने के नाम पर 50 लाख रुपए लेने का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच के लिए प्रदेश नेतृत्व ने तीन सदस्यीय टीम बनाई थी। समिति ने जांच में जिलाध्यक्ष को दोषी पाया है। इसके बाद जिलाध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह आरोप लगाए हैं।

 

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