सुखबीर बादल पर जानलेवा हमला, हमलावर का विमान हाइजैक कर पाकिस्तान ले जाने वाले दल से है कनेक्शन

पंजाब के अमृतसर में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष्र सुखबीर बादल पर हमला किया गया है। स्वर्ण मंदिर में उन पर गोली चलाई गई है, हालांकि वे सही सलामत हैं। वे श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। पुलिस ने आरोपी नारायण सिंह चाैरा को गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, हमलावर नारायण सिंह चाैरा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी रहा है। चाैरा 1984 में पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में मददगार रहा है। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी है। नारायण इससे पहले पंजाब की जेल में सजा काट चुका है। पुलिस के एडीसीपी हरपाल सिंह ने जानकारी दी है कि दो दिन से आरोपी नारायण मंदिर में मत्था टेकने आ रहा था. उसकी हरकतें संदिग्ध लग रहीं थीं इसलिए पुलिस उसपर नजर रखे हुए थी. आरोपी के पास से एक हथियार भी बरामद हुआ है. पुलिस पूछताछ कर रही है कि उसने किसके इशारे पर सुखबीर बादल पर हमला किया है. पुलिस की शुरूआती जांच में कहा गया है कि आरोपी धार्मिक कट्टरता से प्रेरित हो सकता है. आरोपी का दल खलासा संगठन से नाम जुड़ रहा है, उसके संस्थापक गजिंदर सिंह की कुछ दिन पहले पाकिस्तान के लाहौर के एक हाॅस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. नारायण सिंह ने पाकिस्तान में रहते हुए कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और ‘देशद्रोही’ साहित्य पर एक किताब लिखी थी.

कौन है हमलावर नारायण सिंह चौड़ा?

उधर, सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर को हिरासत में ले लिया. आरोपी की पहचान 68 साल के नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई. एडीसीपी हरपाल सिंह के मुताबिक, नारायण सिंह पिछले दो दिनों से लगातार दरबार साहिब में मत्था टेकने आ रहा था. उसकी हरकतें संदिग्ध लग रही थीं, जिसके चलते पुलिस ने उस पर पहले से ही नजर बनाए रखी थी. नारायण सिंह गुरदासपुर जिले के चौड़ा गांव का रहने वाला है. आरोपी के खालिस्तानी समर्थक होने का शक जताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि वह बेअदबी मामलों को लेकर सुखबीर बादल से नाराज था.

मंगलवार को भी स्वर्ण मंदिर में आया था आरोपी

सूत्रों के अनुसार, आरोपी मंगलवार को भी श्री हरमंदिर साहिब में घूमता देखा गया था। वहीं खुफिया इनपुट मिलने के बाद पुलिस भी अलर्ट थी और उस पर नजर रख रही थी। अकाली नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सुखबीर बादल की सुरक्षा में कोताही बरती है। वहीं एडीसीपी हरपाल सिंह ने बताया कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। सुखबीर बादल को उचित सुरक्षा दी गई थी। हमलावर कल भी यहां था…आज भी उसने सबसे पहले गुरु जी को नमन किया। गोली किसी को नहीं लगी है।  अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि हमारे पुलिस कर्मियों की सतर्कता और तैनाती के कारण, इस हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया गया। हमारे कर्मियों रिशपाल सिंह, जसबीर और परमिंदर ने सतर्कता दिखाई और कोशिशों को नाकाम कर दिया।  नारायण सिंह चौरा का आपराधिक रिकॉर्ड है, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला दर्ज कर लिया गया है। सुखबीर सिंह बादल की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे…सुरक्षा के लिए तैनाती खतरे की आशंका के अनुसार की जाती है। इसलिए, भारी तैनाती की गई थी। चौरा के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, अतीत में उसके पास से हथियार बरामद किए गए थे, हम रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं।

बादल के साथ अन्य नेता भी बने सेवादार

बादल के साथ एक अन्य अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा भी व्हीलचेयर पर बैठकर सेवादार की भूमिका निभाई. हालांकि ढींडसा बुजुर्ग होने के नाते व्हीलचेयर पर थे. इनके अलावा पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और दलजीत सिंह चीमा ने अपनी सजा के तहत बर्तन धोए. साथ ही सुखबीर बादल और सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपने-अपने गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटका रखे थे जिसमें उनके गलत कामों को स्वीकार किया गया, लिखा हुआ था. दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक सेवादार के रूप में काम किया.

खालिस्तानी समर्थक है नारायण

नारायण सिंह चौड़ा खुद को गरमख्याली खालिस्तान समर्थक नेता बताता है. वह खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन बब्बर खालसा से भी पूर्व में जुड़ा रहा है. स्वह चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का भी आरोपी है. साल 2004 में जेल तोड़कर चार खालिस्तानी आतंकी फरार हो गए थे.आरोप है कि नारायण ने इस कांड में आतंकियों की मदद की थी.नारायण सिंह चौड़ा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) UAPA अधिनियम के तहत लंबे वक्त तक जेल में रहने के बाद बेल पर बाहर आया था. उसने अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल गुजारे हैं.वो बब्बर खालसा, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था.उसे 28 फरवरी, 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था.

कौन था दल खालसा का संस्थापक?

नारायण सिंह चौड़ा को दल खालसा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह की मौत 74 साल की उम्र में हुई. वह एक कुख्यात आतंकी था. उसने 29 सितंबर 1981 में इंडियन एयरलाइंस की दिल्ली से श्रीनगर जाने वाली उड़ान को हाइजैक कर पाकिस्तान के लाहौर ले गए थे. आईसी-423 विमान में 111 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे. इसके बाद उन्होंने खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले और कई अन्य आतंकियों की रिहाई की मांग की थी. भारत सरकार ने गजिंदर सिंह को टॉप-20 मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल किया था. 30 सितंबर 1981 को पकिस्तान के सुरक्षा बलों ने गजिंदर सिंह और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया था. लाहौर की एक कोर्ट ने उन्हें 14 साल कैद की सजा सुनाई थी.

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