फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्वि-मासिक मौद्रिक नीति के अन्तर्गत अपने कार्यकाल में दोबारा रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कमी की घोषणा करके भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नई जान डालने की कोशिश की है।
भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी मुकेश गुप्ता ने बताया कि इससे पहले 7 फरवरी 2025 को इन्होंने रेपो रेट को 6:50 प्रतिशत से घटाकर 6:25 प्रतिशत किया था। रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है जिस दर पर केंद्रीय रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। इस प्रकार हमारी व्यावसायिक बैंकों को जब कम ब्याज दर पर पैसा उधार मिलेगा तो वे इसका सीधा लाभ अपने ग्राहकों को दे सकेंगे और इस प्रकार ये व्यावसायिक बैंकें अपने द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज की दरें पहले से कम करेगी और अपने द्वारा आरबीआई को अदा करने वाले ब्याज में हुई इस बचत से अपने पास पहले से ज्यादा फंड हो जाने की वजह से ज्यादा मात्रा में अपने ग्राहकों को ऋण वितरण करेगी। लोन पर ब्याज दर कम होने से ग्राहकों की ईएमआई पहले की तुलना में कम होने से उन्हें अपनी मासिक किस्त के रूप में बैंकों को कुछ कम पैसा चुकाना पड़ेगा। इससे ग्राहकों की घरेलू बचत में वृद्धि होगी और उनकी परचेजिंग पावर भी बढ़ेगी। इससे देश में घरेलू बचत दर में वृद्धि होगी और इस बचत से ग्राहक ज्यादा उत्पाद खरीद सकेंगे। वे ज्यादा होम लोन, पर्सनल लोन, उपभोक्ता लोन और वाहन लोन बैंकों से लेंगे। अंतत: हमारे देश में उत्पादों की मांग बढ़ेगी और जब मांग बढ़ेगी तो उद्योगों को अपना उत्पादन भी बढ़ाना पड़ेगा। उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्योगों को मशीनों के साथ-साथ ज्यादा मेन पावर की भी जरूरत पड़ेगी और ये उद्योग धंधे अपने यहां नए रोजगार भी लोगों को दे सकेंगे। इस प्रकार अंत में हम कह सकते हैं कि आरबीआई के इस कदम से बैंकों को, उद्योग धंधों को और आम जनता को आर्थिक फायदा होने के साथ-साथ देश में बेरोजगारी की दर भी घटेगी और देश में मांग और उपभोग दोनों में वृद्धि होने के कारण देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से होगा।
रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कमी की घोषणा से देश की अर्थव्यवस्था में आयी जान
