फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। सरकार द्वारा फाइलेरिया जैसी संक्रामक बीमारी की रोकथाम हेतु चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत विश्व फाइलेरिया दिवस के अवसर पर नगर के विख्यात मेजर एसडी सिंह पीजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल बेवर रोड बघार फर्रुखाबाद में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने फाइलेरिया के लक्षण, कारक, बचाव एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के जोनल समन्वयक डॉ0 नित्यानंद ठाकुर ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण मच्छर के काटने से फैलता है। उन्होंने बताया कि फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस मच्छर एक धागे के समान परजीवी को छोड़ता है, यह परजीवी जब हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है तब फाइलेरिया रोग फैलता है। डॉ0 नित्यानंद ने कहा कि फाइलेरिया विश्व में विकलांगता और विरूपता को बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है। डा0 ठाकुर ने फाइलेरिया उन्मूलन रणनीतियों पर प्रस्तुतिकरण को भी साझा किया। फाइलेरिया निरीक्षक नरजीत कटियार ने सामूहिक औषधि प्रशासन और बूथ स्थापना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग तीन प्रकार का होता है। पहला लिम्फेटिक फाइलेरिया जो हाथी पांव रोग का सबसे आम प्रकार है। यह कीड़े लिम्फ नोड्स सहित लसीका प्रणाली को प्रभावित करते हैं। दूसरा सबक्यूटेनियस फाइलेरियासिस का यह प्रकार त्वचा की निचली परत को प्रभावित करता है। तीसरा सीरस कैविटी फाइलेरिया जो कि फाइलेरिया के एक प्रकार की श्रेणी में आता है, जो कि सबसे दुलर्भ है। मेजर एसडी सिंह पीजी आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो कि इंसान में कुरूपता लाती है। इस रोग के कारण व्यक्ति के पांव व अन्य अंगों में कुरूपता आती है। उन्होंने कहा कि अभी तक इसका कोई सटीक उपचार मौजूद नहीं है, जिससे इस रोग को फैलने से रोका जा सके। बीमारी पर शोध लगातार जारी है किन्तु अभी तक कोई टीका या दवा विकसित नहीं हो पाई है, जिसकी मदद से इस रोग से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सके। उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 नीतू श्री ने कहा कि उपचार से बचाव हमेशा बेहतर होता है, यदि हम पहले से ही सतर्क रहें तो इस रोग से बचा जा सकता है। घरों में व बाहर पूरे कपड़े पहने, घर में व आसपास साफ सफाई रखें ताकि मच्छर न पनपने पायें, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, मच्छरों से बचाव के लिए कीटनाशक या अन्य उपायों का प्रयोग अमल में लायें तो इस रोग से ग्रसित होने से खुद को बचाया जा सकता है। स्वस्थवृत्त के लेक्चरर डा0 कार्यक्रम का संचालन किया और फाइलेरिया बचाव व उपचार तथा उन्हें दिये जाने वाले आहार के विषय में जानकारी दी। इस अवसर पर महाविद्यालय की उप प्राचार्य डॉ0 जॉली सक्सेना, डॉ0 अंजना दीक्षित, डॉ0 अंकुर सक्सेना, डा0 आनंद बाजपेयी, डॉ0 भारती पांचाल, डॉ0 अमृता विजयन आदि भी उपस्थित रहीं।