लखनऊ की अदालत ने उप्र बैडमिंटन एसोसिएशन के तत्कालीन सचिव डॉ. विजय सिन्हा और उनके पुत्र निशांत सिन्हा को सजा सुनाई है. और दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. इस दौरान अदालत ने इसे एक गंभीर अपराध मानते हुए कहा कि दोषियों ने देश की भविष्य की महिला खिलाड़ियों के साथ गलत किया हैं. लखनऊ की अदालत ने शुक्रवार को उप्र बैडमिंटन एसोसिएशन के तत्कालीन सचिव डॉ. विजय सिन्हा और उनके पुत्र निशांत सिन्हा को नाबालिग खिलाड़ियों के शोषण के मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई. पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने विजय सिन्हा को पांच साल और निशांत सिन्हा को सात साल कैद की सजा सुनाई. इसके साथ ही दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.मामला बीबीडी बैडमिंटन अकादमी का है, जहां दोनों पिता-पुत्र पर महिला खिलाड़ियों का मानसिक और शारीरिक शोषण करने का आरोप था. खिलाड़ियों ने यह भी शिकायत की थी कि वे अनापत्ति प्रमाणपत्र देने के लिए धन की मांग करते थे. 2017 में बैडमिंटन संघ ने इन शिकायतों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. कमेटी ने जांच में पाया कि आरोप सही हैं. इसके बाद गोमतीनगर थाने में मामला दर्ज किया गया.