गंगा हमारी प्राचीन संस्कृति, इसका संरक्षण जरुरी: सांसद

सांस्कृतिक पाण्डाल में पांचाल सम्मेलन, क्षेत्र के इतिहास पर डाला गया प्रकाश
जनपद का नाम पांचाल नगर किये जाने की फिर उठी मांग

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। मेला रामनगरिया के सांस्कृतिक पाण्डाल में पांचाल शोध एवं विकास समिति के तत्वाधान में हुए पांचाल अधिवेशन में पांचाल क्षेत्र के इतिहास पर प्रकाश डाला गया। मुख्य अतिथि के रुप में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता व इतिहासकार दिलीप दुबे ने कहा कि क्षेत्र का इतिहास सही रुप से सामने नहीं आ पाया है। इसे प्रमाणित तथ्यों के आधार पर आगे लाने की जरुरत है। भारत सरकार का सांस्कृतिक मंत्रालय इस ओर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि फर्रुखाबाद को प्राचीन काल में स्वर्गद्वारी के नाम से जाना जाता था। चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाह्यान यात्री यहां आये। यह महाभारत कालीन क्षेत्र है। यहां से राजा द्रोपद व द्रोपदी (पांचाली) का इतिहास जुड़ता है। इसलिए क्षेत्र को पांचाल क्षेत्र भी कहते है।
सांसद मुकेश राजपूत ने कहा कि क्षेत्र के इतिहास व यहां के तीर्थ स्थानों में कम्पिल, संकिसा, श्रंगीरामपुर, नीमकरोली जैसे स्थलों के मद्देनजर एक पर्यटक स्थल के रुप में जिले को लाने का प्रयास जारी है। सांसद बोले कि इस क्षेत्र के राष्ट्रीय राज्य मार्ग से यहां का सम्पर्क बढ़वाये जाने के लिए प्रयास चल रहा है जो शीघ्र ही पूरा होगा। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी डा0 चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने जनपद की स्थापना व इतिहास पर प्रकाश डाला। संस्था के अध्यक्ष सुरेन्द्र सोमवंशी ने पांचाल क्षेत्र फर्रुखाबाद के इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन कर रहे भूपेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रस्ताव किया कि जनपद के प्राचीन स्थानों की खुदाई करायी जाये, ताकि यहां के इतिहास को सामने लाया जा सके। इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बद्रीनाथ धाम के महा मण्डलेश्वर जयदेवानन्द सरस्वती ने की। इस मौके पर गंगा की स्वच्छता पर विशेष बल दिया गया। कहा गया कि गंगा हमारी संस्कृति है, इसको बचाये ही रखना हमारा धर्म है। इस अवसर पर मुम्बई से आये अशोक, वीरेन्द्र सिंह राठौर, दिनेश पाल सिंह, डा0 मुकेश राठौर, महेश पाल सिंह उपकारी, वैभव सोमवंशी, नेहरु युवा केंद्र की परियोजनाधिकारी निहारिका पटेल, बीके मंजू, सत्यपाल सिंह सोमवंशी, मेला प्रबंधक संदीप दीक्षित सहित बड़ी तादात में लोग मौजूद रहे। इस अवसर पर फर्रुखाबाद का नाम पांचाल नगर करने की मांग पुन: उठायी गई।

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