सिलाई व रंगोली बनाना सीखकर छात्रायें बन रही है आत्मनिर्भर

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। संस्कार भारती द्वारा आयोजित कार्यशाला में जहां एक और बच्चे सिलाई सीख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चित्रकला हस्तकला में बच्चे पारंगत हो रहे है। सिलाई टेलरिंग प्रशिक्षण जो कि साधना श्रीवास्तव बच्चों को सिलाई का परीक्षण दे रही है। वर्तमान समय में बच्चों को कौशल विकास में उद्यमी आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही है। पहले घरों में परंपरागत सिलाई, कढ़ाई, बुनाई घर परिवार में दादी नानी के द्वारा सिखाया जाता था। आज ऑनलाइन रेडीमेड कपड़ों ने यह कला को समाप्त कर दिया है, लेकिन सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास में गृह उद्योग के माध्यम से प्रोत्साहन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मैं वर्षों से संस्कार भारती की कार्यशाला के अंतर्गत सैकड़ो बच्चों को फैशन की नई-नई डिजाइनों में बहुत से आइटम सिखाती हूं। जिसमें परिवार के वस्तुओं में नित दिन प्रयोग होने वाले आइटम जैसे पजामा कुर्ता, पेटीकोट, ब्लाउज, लेडीज में सलवार और कुर्ती लगभग 14 आइटम एक माह में सिखाएं हैं। वर्तमान समय में प्लास्टिक का प्रयोग ना करें। तरह-तरह के थैली की डिजाइन बनाना सिखा रही है। बच्चे अपने घरों में बैठकर आत्मनिर्भर होकर अच्छा पैसा पैदा कर सकते हैं। यही नहीं साधना रंगोली प्रमुख है। वह एक अच्छी रंगोली बनाना भी सिखाती हैं। कानपुर प्रांत की रंगोली प्रमुख भी है। वह रंगोली नि:शुल्क सिखाती हैं। बस अपना सामान रंग रोगन लाना पड़ता है। कला के लिये समर्पित जीवन है। उनका कहना है आत्मनिर्भर भारत तभी बनेगा जब घर-घर बच्चे उद्यमी बनेंगे। वहीं दूसरी ओर नेहा सक्सेना चित्रकला एवं हस्तकला में बच्चों को पारंगत कर रही है। कार्यशाला की व्यवस्था कार्यशाला संयोजक डॉ0 सर्वेश श्रीवास्तव, डॉ0 नवनीत गुप्ता, सुरेंद्र पांडे, कुलभूषण श्रीवास्तव, आदेश अवस्थी, अरविंद दीक्षित, रविंद्र भदोरिया, नरेंद्र नाथ मिश्रा, अर्पण शाक्य आदि लोग व्यवस्था देख रहे हैं।

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