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सचिव व प्रधानों की जेबों पर भारी पड़ रहा सरकार का विकास

विकास भारत संकल्प यात्रा पर जारी नहीं किया गया फंड
गांवों में प्रतिदिन दस स्थानों पर होता है उपरोक्त कार्यक्रम

नवाबगंज/मोहम्मदाबाद, समृद्धि न्यूज।
हर समय चुनावी मोड़ में रहने वाली पार्टी के विकास की यात्रा अब अधिकारियों की जेब पर भारी पडऩे लगी है। भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कहने वाली सत्ताधकारी पार्टी के दांत दिखाने के कुछ और व खाने के कुछ और। विकसित भारत संकल्प यात्रा को गांव-गांव भाजपा ने चालू तो कर दे, लेकिन इसका न तो कोई बजट और न ही तम्बू में अतिथि बनकर बैठने वाले जनप्रतिनिधि इस पर एक रुपया खर्च नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सरकार और माननीय पैसा नहीं खर्च कर रहे हैं तो इतना सब तामझाम किसके जिम्मे है। इसका सीधा मतलब है कि कि ब्लाक स्तर पर संबंधित अधिकारी व ग्राम प्रधानों की जेब पर जबरियन डांका पड़ रहा है। प्रधान और सचिव तन और मन के साथ धन भी लगाना पड़ रहा है। गांवों में रोज 10 जगह तंबू लगते हैं। तंबू के साथ साउंड, कुर्सी, मेज और माननीयों के स्वागत पर हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं। सरकार ने इसके लिए अलग से कोई फंड नहीं दिया है। जहां जनप्रतिनिधि और बड़े माननीय पहुंच जाते हैं तो वहां तो खर्च की सीमा भी बढ़ जाती है। सचिव से लेकर प्रधान और ब्लाक वाले साहब तक परेशान हैं। उनकी पीड़ा अब शब्दों से बयां होने लगी है। उनका कहना है कि सरकार का विकास उनके अपने विकास को प्रभावित कर रहा है। सबसे ज्यादा पीड़ा तो तब होती है जब योजनाओं के गुणगान के दौरान नेता जी सीधे-सीधे वोट मांगने लगते हैं। इस दौरान जिनकी जेब से यह सब इंतजाम करने में रुपया खर्च होता है, उन्हें इस तम्बू में बैठने की जगह तक नहीं मिलती है। एक ओर सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात करती है, तो वहीं ऐसे कार्यक्रमों में लाखों रुपया खर्च हो रहा है। जो खर्च करेगा, वह कहीं न कहीं, किसी से तो इसकी भरपाई करेगा।अगर वह ऐसा नहीं करता है, उसे अपना घर बेचकर लगाना पड़ेगा। स्वभाविक है कि ऐसे में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय और अधिक बढ़ेगा।

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