गुजरात: फर्जी जज का फर्जी कोर्ट, अरबों की जमीन के फेक ऑर्डर

गुजरात के अहमदाबाद में एक वकील फर्जी जज बनकर कई साल से फर्जी कोर्ट चला रहा था. हैरानी की बीत ये है कि फर्जी जज अहमदाबाद सिविल कोर्ट के सामने ही अपनी फर्जी कोर्ट चला रहा था. फर्जी जज ने अरबों की विवादित जमीनों से जुड़े मामले में कई ऑर्डर पास किए. मामला असली कोर्ट तक पहुंचा तो उस पर एक्शन लिया गया है.

फर्जी आईपीएस, फर्जी दफ्तर के बाद अब फर्जी कोर्ट और जज का पर्दाफाश हुआ है. गुजरात के अहमदाबाद में एक फर्जी कोर्ट पकड़ी गई. पेशे से वकील नकली जज बनकर पिछले कई सालों से फर्जीवाडे़ का यह धंधा चल रहा था. मामला प्रकाश में आया तो सभी के होश उड़ गए. कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने फर्जी जज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. हैरानी की बीत ये है कि फर्जी जज अहमदाबाद सिविल कोर्ट के सामने ही अपनी फर्जी कोर्ट चला रहा था. पेशे से वकील मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने अरबों की विवादित जमीनों से जुड़े मामले में कई ऑर्डर पास किए. बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ ऑर्डर डीएम ऑफिस तक पहुंच गए. मामला तब प्रकाश में आया जब इससे जुड़ा केस अहमदाबाद सिटी सेशंस कोर्ट के जज के पास पहुंचा. फिर रजिस्ट्रार ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई. पुलिस ने जांच के बाद मॉरिस क्रिश्चन को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने एक फर्जी न्यायाधीकरण बनाकर खुद को जज के रूप में पेश किया. अहमदाबाद के भादर में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने कारंज पुलिस स्टेशन में आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चिन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई द्वारा दायर शिकायत में यह कहा गया कि आरोपी ने अन्य व्यक्तियों के साथ ठाकोर बापूजी छनाजी के नाम पर एक आपराधिक साजिश रची. उसने खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया.

कैसे हुआ फर्जी कोर्ट का खुलासा?
अहमदाबाद के भादर में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई की वजह से फर्जी कोर्ट और नकली जज मॉरिस सैमुअल क्रिश्चिन के फर्जीवाड़े का खुलासा हो पाया है. उन्होंने ही आरोपी के खिलाफ कारंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया. 2019 में आरोपी मॉरिस ने अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया था, जो जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी जमीन से जुड़ा था. उसके मुवक्किल की तरफ से दावा किया गया कि पालडी इलाके की जमीन के लिए सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम दर्ज करवाने की. मॉरिस ने कहा कि सरकार ने उसे मध्यस्थ बनाया है. इसके बाद मॉरिस ने फर्जी अदालती कार्रवाई करते हुए मुवक्किल के पक्ष में आदेश दिया. मामले में क्लेक्टर को जमीन के दस्तावेजों में मुवक्किल का नाम दर्ज करने का आदेश दिया और इसके साथ ही वो आदेश अटैच किया जो उसकी तरफ से जारी किया गया था. फिर कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को पता चला कि मॉरिस न तो मध्यस्थ है और न ही उसकी ओर से जारी किया गया आदेश असली है. ऐसे में रजिस्ट्रार ने करंज पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया.

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