समधन, समृद्धि न्यूज़। हदीस में है ऐ लोगों तुम्हारे ऊपर एक अजमत वाला महीना आ रहा है जो बड़ी बरकत बाला हैं इस महीने में एक रात ऐसी है जो हज़ार महीनों से ज्यादा बेहतर है इस रात में इबादत करना नसीब हो जाए तो हजार महीने इबादत करने से जो मकाम और मर्तबा मिलता है इससे भी ज्यादा ऊंचा मर्तबा इस रात में हासिल होता है। इस रात को सब ए कद्र कहते हैं। इस रात को तलाश करने के लिए रमज़ान के आखिरी दस दिनों का एतिकाफ किया जाता है।
यह बातें जुमे की नमाज़ के दौरान कस्बा समधन के मौलाना मुफ्ती रिजवान शेख ने मोहल्ला सौरकी तरफ की मस्जिद में लोगों को अपने बयान में दीनी बाते बताते हुए कहा कि
इस महीने के रोज़े मुसलमानों पर फर्ज हैं रमज़ान का रोज़ा दीन ए इस्लाम में बुनियादी अमल हैं इसे छोड़ना बगैर किसी शरई उज्र के जायज नहीं है। और रात में तरावीह की 20 रकाअत नमाज़ पढ़ना सुन्नत ए मुकद्दा है सहाबा के जमाने से लेकर अब तक 20 रकाअत पढ़ी जा रही है तरावीह के जरिए इन्सानों के गुनाहों की माफी हो जाती है। इस महीने में हर नेक और अच्छे अमल का सवाब सत्तर गुनाह बढ़ा दिया जाता है। इस महीने के रोज़े रखने के साथ-साथ मुस्लिम लोग गुनाहों से बचे रहते हैं। यह महीना सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत है और सब्र करने बालों को अल्लाह की मदद हासिल होती है यह महीना एक दूसरे के साथ खूब हमदर्दी करने का है। अल्लाह ताला इस महीने में मोमिन के रिज्क को बढ़ा देता है इस लिए इस महीने में तरह तरह की नेमतें बंदों को हासिल होती हैं। दूसरे को रोजा इफ्तार कराने पर तीन खुशी की चीजें हासिल होती हैं इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ होते हैं जहन्नुम से हिफाजत हासिल होती है और इफ्तार करने वाले को इतना बड़ा शवाब हासिल होता है जितना रोजा रखने वाले को मिलता है। इफ्तार कराने में यह जरूरी नहीं है कि पेट भरकर खिलाया जाए बल्कि सवाब हासिल करने के लिए एक घूंट लस्सी,एक खजूर या घूंट पानी के जरिए इफ्तार करा दिया तो भी सवाब हासिल होगा जो शख्स हलाल कमाई से रोजा इफ्तार कराए तो फरिशते पूरे रमज़ान उसके लिए रहमत की दुआएं करते हैं। और हज़रत जिबरईल फ़रिश्ते सब ए कद्र में उससे मुसाफा करते हैं और जो शख्स रोजेदार को पेट भरकर खाना खिलाए अल्लाह तआला क़्यामत के दिन उसी प्यास की हालत में हौजे कौसर से सेराब कराएगा जिस दिन लोग प्यास से परेशान होंगे। और जन्नत का दाखिला आसन फरमाएगा
इस महीने के पहले के 10 दिन रहमत के होते हैं और दूसरे 10 दिन मगफिरत के होते हैं और आखरी 10 दिन दोजख से आज़ादी के होते हैं।
इस महीने की हम सब ज्यादा से ज्यादा कद्र करे रमज़ान के महीने में 9 और 10 साल के बच्चियों व बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े तक सभी लोग ख़ूब पाबंदी से रोज़ा रखें अगर किसी के सामने शरई मजबूरी हो तो ऐसा इंसान किसी के सामने न खाए ना पिए बल्कि अकेले में खा पी ले। यही अदब और एहतराम अपने अपने बच्चों को सिखाएं इस महीने में हर तरह से गुनाहों से बचें किसी को को तखलीफ न पहुंचाऐं आपसी भाईचारा कायम रखें खूब इबादत करें अल्लाह से खूब दुआएं मांगते रहे।
मुबारक हो मुसलमानों, फिर माहे सियाम आ रहा है: मुफ्ती रिजवान
