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एक मुद्दत से अपने काम पे हूं जैसे जिंदा ही तेरे नाम से हूं: रुबीना अयाज

मुशायरा व कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायरों की शायरी के दीवाने हुए लोग
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। एक मुद्दत से अपने काम पे हूं जैसे जिंदा ही तेरे नाम से हूं इश्क का आखिरी मकाम है मौत और मैं आखिरी मकाम पर हूं, जब यह शेर रुबीना अयाज ने इरशाद फऱमाया तो मुशायरे की महफिल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठी। पूरी रात मुशायरे और कवि की महफिल गुलजार रही। इस बीच कवियों के काव्यपाठ और शायरों की शायरी लोगों को गुदगुदाती रही।
शहर के मोहल्ला शमशेर खानी ग्राउंड पर मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। एक शाम रईस अहमद के नाम से मुशायरा व कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायर व कवियों ने पहुंचकर समां बांधा। श्रम विभाग के नोडल अधिकारी सैय्यद रिजवान अली, सैयद शाह फसीह मुजीबी ने मुशायरे व कवि सम्मेलन की शुरुआत शमां रोशन कर की। शायर डा0 आसिम मकनपुरी ने कलाम पढ़ा कि खामिया मेरी दिखाता था मुझे मैंने आईना ही पलट कर रख दिया। हिलाल बदायूंनी ने पहले मुझ पर बिलीव कर लेना फिर मोहब्बत अचीव कर लेना शाम को तुझसे बात करनी है फोन मेरा रिसीव कर लेना, बहस करते हो बस सियासत पर इश्क पर कब बात करोगे तुम। शायरा आयशा खुशनसीब ने मैं खुशनसीब हूं मैं हिंदुस्तानी हूं गीत पढ़ लोगों का दिल जीता। जमाल हसनपुरी ने आ गया चांद मेरा आज मेरी महफिल में अब चिरागों को जलाने की जरूरत क्या है। सलमान जफर ने नाराज पड़ोसी मेरे जनाजे में आ गया सिलवट एक और मेरे कफन से निकल गई। वकार फराजी ने भूल जाने की तुझे जब भी कसम खाई है बेवफा मुझको और भी तेरी याद आई है तूने क्यों मुझको सताने की कसम खाई है बस इसी बात से दिल परेशान है आज उसने नजर क्यों नहीं मिलाई है। राम मोहन शुक्ला ने ऐसे इतराया न करो इतना इत्र भी न लगाया करो गली तक महक जाती है ऐसे चक्कर न लगाया करो। अभीश्रेष्ठ तिवारी ने लखनवी होके सलीके के नहीं होते हैं सब अरब वाले मदीने के नहीं होते हैं। मशकूर ममनून ने दूसरा उसको मिल गया कोई आखिरी आदमी नहीं थे हम। हास्य कवि नौशाद अंगड ने ऐसा किया मजाक मेरी जिंदगी के साथ छोटी दिखाकर फेरे बड़ी के साथ अल्लाह किस गुनाह की सजा मुझको मिली कैसे कटेगी उम्र डोकरी के साथ को सुन लोग हंस हंसकर लोटपोट हो गए। दिलीप कश्यप कलमकार ने सोच लिया था भगत सिंह ने अब तो कुछ करना होगा मातृभूमि की बलिवेदी पर काट शीश धरना होगा। कवयित्री स्मृति अग्निहोत्री ने विस्मरण कदापि ना उनका हो है लहू ऋणी भारत जिनका उस आंचल का सम्मान रहे, संतान ऋणी भारत जिसका गीत पढ़ा। उपकार मणि ने बढ़ी जब प्यास होंठो पे तो हम भी जाम तक पहुंचे, जब अपना नाम भूले तब तुम्हारे नाम तक पहुंचे शेर पढ़ा। इसके अलावा कई अन्य शायरों व कवियों ने समां बांधा। लोग रात में भी लोग शायरों और कवियों को सुनने को बैठे रहे। मुख्य अतिथि पूर्व ब्लाक प्रमुख राशिद जमाल सिद्दीकी, सदारत श्रम विभाग नोडल अधिकारी सदारत सैय्यद रिजवान अली, विशिष्ट अतिथि मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष इजहार खान, मुशायरा कन्वीनर फुरकान अहमद सभासद, सहसंयोजक हाजी असलम अंसारी, अजय प्रताप सिंह, फैसल रईस, आफाक खान, शकील खान, आरिफ खान, शरजील पाशा, दानिश मिर्जा, असगर हुसैन, अराफात खान, शाहरुख खान, फैजान खान, पुष्पेंद्र भदौरिया, सगीर अहमद एडवोकेट, रफी अहमद, मुख्तार अहमद टेनी, खुर्शीद अहमद, हाजी बिलाल अहमद आदि मौजूद रहे।

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