राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को देखकर कराया जाता है सुलह समझौता-जिला जज

राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए 39047 वाद तथा जमा कराई गई 112713019 रुपए की समझौता राशि।

अमिताभ श्रीवास्तव।

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रचलन के साथ हुआ।इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव ने कहा कि लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है। सुलह समझौते के दौरान सभी का मान सम्मान बना रहे और त्वरित न्याय मिले,इसका ध्यान रखा जाता है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है।लोक कल्याण की भावना से ओतप्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल और एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह समझौते के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने के निर्देश दिए जाते हैं जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी सामाजिक है।श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यदि प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते हैं तभी उन्हें न्यायालय की शरण में जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह समझौते के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।इसी क्रम में अपर जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव शैलेंद्र सिंह यादव ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने व शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था कराई गई है। इसके साथ ही लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्तियों की सुविधाओं का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह समझौते के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके।उन्होंने बताया की धारा 138 पराकाम्य लिखित अधिनियम(एन.आई.एक्ट) बैंक वसूली वाद,श्रम विवाद,विद्युत एवं जलवाद बिल(अशमनीय वादों को छोड़कर)अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एवं अन्य व्यवहार वाद,पारिवारिक विवाद,भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबंधित,वेतन भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले,राजस्व वाद जो जनपद न्यायालय में लंबित हो तथा अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किए गए हैं।प्राधिकरण सचिव श्री यादव ने बताया कि शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में कल 39047 वादों को निस्तारित किया गया तथा कुल समझौता राशि 112713019 रुपए है।इसी क्रम में बैंक रिकवरी से संबंधित 864 प्री लिटिगेशन वाद निस्तारित किए गए तथा बैंक संबंधित ॠण 54868645 रुपए वसूल किए गए जबकि पारिवारिक विवाद से संबंधित 54 मुकदमों को निस्तारित किया गया जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित हुए हैं।उन्होंने बताया कि संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा 15408 वाद निस्तारित किया गया जिसके एवज में कुल 184735 रुपए अर्थदंड अधिरोपित किया गया। उक्त निस्तारित वादों में से 7099 वादों का निस्तारण न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय प्रत्युष आनंद मिश्रा द्वारा वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से किया गया है तथा सिविल न्यायालय द्वारा कुल 141 मामलों का निस्तारण किया गया है।राजस्व मामलों से संबंधित 22531 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा विस्तारित किए गए हैं।राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ अवसर पर सत्यदेव गुप्ता मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण,सुशील कुमार शशी पीठासीन अधिकारी कमर्शियल न्यायालय,अशोक कुमार दुबे अपर जिला जज कक्ष संख्या एक,श्रीमती एकता सिंह अपर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय,राकेश कुमार चतुर्थ विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट,अभिषेक कुमार बगड़िया विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रथम, मोहिंद्र कुमार विशेष न्यायाधीश ई.सी एक्ट, प्रेम प्रकाश विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट,अनिल कुमार वर्मा एडीजे,श्रीमती नूरी अंसार विशेष न्यायाधीश पाक्सो द्वितीय,यशपाल अपर जिला जज त्वरित न्यायालय प्रथम,कुलदीप सिंह प्रथम अपर जिला जज त्वरित न्यायालय द्वितीय व श्रीमती भव्या तिवारी मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट सहित अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे।

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