कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ रिश्ते तल्ख करने पर उतारू हैं. खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है. जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है. जैसा कि विदेश मंत्रालय के बयान में साफ शब्दों में कहा गया है, ट्रूडो अपने देश में राजनीतिक करियर को बचाने के लिए भारत-कनाडा संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बढ़ती महंगाई, अफोर्डेबल हाउसिंग, अनियंत्रित अप्रवास और खत्म होती नौकरियों ने ट्रूडो की छवि को नुकसान पहुंचाया है. NDP (New Democratic Party) का सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद वे एक लंगड़ी सरकार चला रहे हैं और लगता है कि अब अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भारत की बुराई का सहारा लेने में लग गए हैं. ट्रूडो को अपनी लिबरल पार्टी के अंदर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनकी पार्टी के ही कुछ लोग उन्हें नापसंद करने लगे हैं. हालांकि वे खुद को पार्टी का एकमात्र नेता बताते हैं, जो पीएम पद का दावेदार है. कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (CBC) ने कुछ दिन पहले रिपोर्ट दी थी कि पार्टी में उनके खिलाफ विद्रोह पनप रहा है, पार्टी में उनके विद्रोही ये जान गए हैं कि ट्रूडो के नेतृत्व में अगर लिबरल पार्टी चुनाव लड़ती है, तो वे हार जाएगी.
भारत सरकार ने इन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है:
- स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, कार्यवाहक उच्चायुक्त
- पैट्रिक हेबर्ट, उप उच्चायुक्त
- मैरी कैथरीन जोली, प्रथम सचिव
- लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, प्रथम सचिव
- एडम जेम्स चुइप्का, प्रथम सचिव
- पाउला ओरजुएला, प्रथम सचिव
भारत ने कनाडा से उच्चायुक्त को वापस बुलाया
इससे पहले भारत ने कनाडा से उच्चायुक्त को वापस बुला लिया. भारत कनाडा से अपने और कई अफसरों को वापस बुलाएगा. विदेश मंत्रालय ने आरोपों के पीछे ट्रूडो सरकार का पॉलिटिकल एजेंडा करार दिया और कहा कि ये भारत को बदनाम करने की एक सोची-समझी रणनीति है. ये कोई संयोग नहीं है कि ये सब ऐसे समय में हो रहा है. जब ट्रूडो को विदेशी दखल मामले पर पर एक आयोग के सामने पेश होना है. वहीं विदेश मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति और चीन की साजिश दिख रही है. कनाडा ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी, उसके दो मुख्य कारण दिख रहे हैं, पहला, कनाडा में ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति, और दूसरा, वो चीन के चेकर्स का खेल में हैं.
ट्रूडो की सरकार ‘खालिस्तानी’ बचाएंगे?
ट्रूडो के भारत विरोधी अभियान की एक बड़ी वजह बताई जा रही है. दरअसल, कनाडा की कुल जनसंख्या करीब 4 करोड़ है. यहां भारतीय मूल के 14 लाख लोग रहते हैं, जिसमें सिखों की आबादी 8 लाख है, जिनका राजनीति में अच्छा खासा दखल है. कनाडा की संसद में सांसद की संख्या 338 है, जिसमें से सिख सांसद 18 हैं. हाल में हुए चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से उनकी पार्टी अल्पमत में आ गई है. ट्रूडो ने न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी से समर्थन लिया है, जिसके सहारे उनकी सरकार चल रही है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह सिख हैं. ये खालिस्तान समर्थक है. इस पार्टी को लुभाने के लिए ट्रूडो ने ऐसा कदम उठाया है.
भारत-कनाडा विवाद
- 18 जून 2023: हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या
- 18 सितंबर 2023: ट्रूडो ने निज्जर की मौत के पीछे भारतीय एजेंट्स का हाथ बताया. भारत ने कनाडा सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया.
- 19 सितंबर 2023: भारत ने कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमैट को निकाला
- 20 सितंबर 2023: कनाडा में रहने वाले लोगों के लिए एडवाइजरी जारी, भारत विरोधी कार्यों के देखते हुए सतर्क रहने को कहा.
- 21 सितंबर 2023: भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवाएं सस्पेंड कीं.
- 23 सितंबर 2023: PM टूड्रो ने कहा कि भारत से सबूत शेयर किए गए.
- 13 अक्टूबर 2024: कनाडा ने भारत को एक चिट्ठी भेजी, हाई कमिश्नर संजय वर्मा, अधिकारियों को एक मामले में संदिग्ध बताया.
- 14 अक्टूबर 2024: भारत ने हाई कमिश्नर और डिप्लोमैट्स को भारत बुलाने का फैसला किया.
- 14 अक्टूबर 2024: भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक वापस लौटने का आदेश दिया.