रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

धर्म साधना से ज्यादा कुछ बड़ा नहीं हो सकता और धर्म के आगे कोई खड़ा नहीं हो सकता: स्वदेश यादव
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। मेला रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र चरित्र निर्माण शिविर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गोवा से पधारे शांतिलाल पटेल व आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। गाजियाबाद से पधारीं कवित्री सुमेधा शर्मा ने सरस्वती वंदना के साथ काव्य पाठ का शुभारंभ किया। उन्होंने नारी शक्ति को नमन करते हुए कहां की बेटियों का धर्म है कर्तव्य है। दिल्ली से आये कवि विनोद पाल ने हिन्दू बेटियों को संकेत करते हुए कहा कि सुंदर स्वप्न सलोने चुनना, बुरे ख्वाब को मत चुनना, खोदे जो पहचान तुम्हारी उस नकाब को मत चुनना। कवि धर्मेश अविचल ने कहा कि खाल चिमटों से खींची कितना वो दर्द सहा होगा, बन्द बैरागी भी सोचो कैसा मर्द रहा होगा।

संचालन करते हुए गाजियाबाद से आये कवि स्वदेश यादव ने कहा कि धर्म साधना से ज्यादा कुछ बड़ा नहीं हो सकता है और धर्म के आगे कोई खड़ा नहीं हो सकता है। मुख्य अतिथि गाजियाबाद से आये विख्यात हिंदूवादी संत श्यति नरसिंहानंद गिरी महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा रहे। उन्होंनें कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती पहले सन्यासी थे। जिन्होंने सदियों से सोई हुई हिन्दू जाती के स्वाभिमान को जगाया। उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज की भट्टी में तप कर अनेकों बलिदानियों ने हिन्दू जाती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुतियां दीं। यदि समाज के तत्कालीन संगठनों ने आर्य समाज के शुद्धि आंदोलन का पूर्ण सहयोग किया होता तो आज देश मे एक भी विधर्मी नहीं होता।

आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा कि आज हम स्वामी दयानंद की 200 वीं जयंती मना रहे हैं। उनका सारा जीवन हिन्दू जाती को जगाने व सामाजिक व धार्मिक विषमताओं दूर करने के लिए समर्पित रहा। आज हम उनके बताए मार्ग पर चलकर उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लेना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। शिविर के संयोजक डॉ शिवराम सिंह आर्य, डॉ हरिदत्त द्विवेदी व धर्मवीर आर्य ने मुख्य अतिथि को स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। संचालन मुन्ना यादव व प्रदीप शास्त्री ने किया। कार्यक्रम में मनु आर्य, महावीर शास्त्री, काशीराम आर्य, घनश्याम यादव, विनोदवाला आर्या, रेनू आर्या, उदिता आर्या आदि उपस्थित रहे।

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