फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। वर्ष 1993 से 2000 के मध्य नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को हटाने के शासनादेश ९ नवंबर २०२३ के विपरीत प्रदेश के कई जिलों में डीआईओएस द्वारा वर्ष 1993 से पूर्व नियुक्त तथा उच्च न्यायालय क अंतिम आदेश से कार्यरत एवं वेतन प्राप्त कर रहे तदर्थ शिक्षकों का भी वेतन रोकने की कार्यवाही का जा रही है।
जानकारी के मुताबिक उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अंतिम आदेश से प्रदेश में अनेक तदर्थ शिक्षक वर्ष 1993 से पूर्व के कार्यरत हैं तथा वेतन पा रहे हैं। उनके विनियमितीकरण की पत्रावली संयुक्त शिक्षा निदेशक को भेजी जा चुकी है, परन्तु विनियमितीकरण की कार्यवाही विभाग द्वरारा नहीं की गयी है, परन्तु ऐसे तदर्थ शिक्षकों के पक्ष में उच्च न्यायालय का अंतिम आदेश पारित है। जिसके तहत ही लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से वह विधिवत कार्य कर रहे हैं तथा वेतन प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति भी 1993 से पूर्व हुई है जो शासनदेश की समय अवधि में नहीं हैं। प्रदेश के कई जिलों में डीआईओएस एवं लेखाधिकारी द्वारा वर्ष 1993 से पूर्व नियुक्त तदर्थऔ शिक्षकों का भी वेतन रोकने की कार्यवाही की जा रही है। जबकि वह उच्च न्यायालय के आदेश से विधिवत कार्यरत हैं तथा वेतन पा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति का अनुमोदन भी डीआईओएस द्वारा न्यायालय के आदेश के क्रम में कर दिया गया है तथा संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा वेतन भुगतान की अनुमन्यता भी न्यायालय के आदेश के क्रम में प्रदान की गयी है। सिविल मामलों (सर्विस मेटर) के जानकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजेश गौर तथा अर्पण श्रीवास्तव का कहना है कि शासनादेश में स्पष्ट है कि वर्ष 1993 से 2000 के बीच नियुक्त विनियमितीकरण न होने वाले तदर्थ शिक्षकों को हटाया जाना है, परन्तु यदि 1993 से पूर्व नियुक्त तदर्थ शिक्षकों जो उच्च न्यायालय के आदेश से कार्यरत हैं और वेतन प्राप्त कर रहे हैं ऐसे शिक्षकों का वेतन रोकने वाले जिला विद्यालय निरीक्षक एवं वित्त लेखाधिकारी पर उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना में कोर्ट ऑफ कंटेम्ट (अवमानना) की कार्यवाही हो सकती है। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग ने विनियमितीकरण से वंचित तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण किये जाने हेतु संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षकों को कार्यवाही करने के निर्देश दिये।