कोविड-19 के चलते करीब सवा चार साल पहले पूरी दुनिया लॉकडाउन में थी. लोग घरों में कैद थे तो प्रकृति खुद को ‘रीसेट’ करती नजर आई. हवा साफ हो गई; पेड़-पौधों को, जंगली जानवरों को सदियों में पहली बार इंसानों की दखलअंदाजी के बिना जीने का अनुभव मिला. जब पूरी दुनिया उस भयावह महामारी के साये में थी, तब पृथ्वी का चंद्रमा ठंडा पड़ता जा रहा था. भारतीय वैज्ञानिकों की रिसर्च में पता चला है कि अप्रैल-मई 2020 के दौरान, लॉकडाउन के समय चंद्रमा के तापमान में असामान्य गिरावट देखी गई. Royal Astronomical Society: Letters के मंथली नोटिसेज में छपी स्टडी बताती है कि पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे से कितना जुड़े हुए हैं. फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL) के रिसर्चर्स ने NASA के Lunar Reconnaissance Orbiter (LRO) के डेटा की मदद ली. उन्होंने 2017 से 2023 के बीच चंद्रमा की छह अलग-अलग जगहों पर रात के समय आए बदलावों का एनालिसिस किया. उन्होंने पाया कि लॉकडाउन के दौरान, बाकी सालों के उसी समय (अप्रैल-मई) के मुकाबले तापमान में लगातार 8-10 केल्विन की गिरावट दर्ज की गई. वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर इंसानी गतिविधियां रुकने की वजह से रेडिएशन कम हो गया और इसका असर चांद पर भी देखा गया। 2020 में चांद पर तापमान कम हो गया था। वही आगे के दो सालों में फिर से तापमान बढ़ गया क्योंकि धरती पर फिर से सारी गतिविधियां शुरू हो गई थीं। नासा के लूनर ऑर्बिटर से डेटा लेने के बाद यह अध्ययन किया गया। अध्ययन के लिए सात साल के डेटा लिया गया। इसमें से तीन साल 2020 के पहले के और तीन साल बाद के हैं। धरती पर मानव गतिविधियों से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाता है। इसके बाद धरती के वातावरण से होने वाले रेडिएशन की वजह से चांद के तापमान पर भी असर पड़ता है।