केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के खिलाफ संसद में बिल पेश करने वाली है. इस बिल में वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम किए जाने का प्रस्ताव है. वहीं अब सरकार के इस बिल का विरोध शुरू हो गया है. सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि सरकार को इस तरह के फैसलों से बचना चाहिए. वक्फ अधिनियम 1954 में नेहरू सरकार के समय पारित किया गया था. वक्फ बोर्ड बनने के बाद वक्फ का सेंट्रलाइजेशन कर दिया गया था. उसके बाद वक्फ एक्ट में मुस्लिमों की संपत्ति के रखरखाव का काम किया जाता था.
BJP और RSS पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी
केंद्र सरकार के वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए संसद में विधेयक पेश करने की योजना पर एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. ओवैसी ने रविवार को बताया कि भाजपा शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और आरएसएस का ‘हिंदुत्व एजेंडा’ है. उन्होंने शुरू से ही वक्फ बोर्ड और संपत्तियों को खत्म करने के प्रयास जारी रखे हैं. उन्होंने कहा कि ये संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से हैं. इस अधिनियम का असली कारण धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करना है. आरएसएस शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को छीनने का इरादा रखता रहा है.
राशिद अल्वी ने केंद्र पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी वक्फ संपत्ति को लेकर केंद्र सरकार की ओर संशोधन लाये जाने की योजना पर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय में बनाई गई थी और उन्होंने कानून बनाया था. हकीकत ये है कि मुस्लिमों ने जो अपनी संपत्ति दान की है, वोही अब वक्फ की संपत्ति है. उन्होंने कहा किसरकार ने वक्फ संपत्ति पर पहले ही कब्जा कर रखा है, सेना ने बहुत बड़ी संपत्ति पर कब्जा कर रखा है. सरकार उसे मुक्त कराने के बजाए नया कानून ला रही है. राशिद अल्वी ने कहा किबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को इस मामले हस्तक्षेप कर, कानून में संशोधन को रोकना चाहिए.