नगर से दर्जनों अवैध निजी बसो का विभिन्न प्रदेशों के लिए हो रहा धड़ल्ले से संचालन प्रशासन मौन

 उन्नाव, समृद्धि न्यूज। बांगरमऊ नगर में विभिन्न ट्रैवल एजेंसियों की दर्जनों निजी बसों के अड्डे बीते कई वर्षो से नगर के तीन स्थानों से धड़ल्ले के साथ अवैध रूप से संचालित होते चले आ रहे हैं। किंतु अभी तक परिवहन विभाग अथवा स्थानीय पुलिस ने इन बसों के रजिस्ट्रेशन,बीमा, फिटनेस व परमिट आदि की जांच करने की हिम्मत नहीं जुटा सका है। इससे सरकार की मंशा को जिला प्रशासन की कार्य क्षमता और नीयत पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। इन अवैध बसों के संचालन से लाखों रुपए के राजस्व का प्रतिमाह परिवहन विभाग का चूना लगाया जा रहा है। मालूम हो कि बांगरमऊ नगर के प्रमुख मार्ग उन्नाव हरदोई मार्ग पर स्थित नानामऊ तिराहे से एक कथित निजी बस सर्विस नाम की ट्रैवल एजेंसी का बाकायदा बुकिंग कार्यालय अरसे से संचालित है। जहां से प्रतिदिन करीब आधा दर्जन से अधिक निजी बसें दिल्ली के लिए आवागमन कर रही हैं।
इसके अलावा एक अन्य ट्रैवल एजेंसी ने नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निकट स्थित अपना अड्डा बना रखा है। जहां से दो निजी बसें प्रतिदिन सुदूर प्रदेशों को फुटकर यात्री भरकर ले जाती हैं। इसी प्रकार एक अन्य निजी एजेंसी की बसो की सर्विस का एक अवैध अड्डा नगर के संडीला मार्ग रेलवे क्रासिंग के निकट स्थित है। जहां से निजी बसें फुटकर सवारियां भरकर संडीला से प्रदेश के बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा, छिबरामऊ व कन्नौज तथा हरियाणा के चंडीगढ़, पानीपत, सोनीपत, करनाल व अंबाला तथा पंजाब प्रांत के लुधियाना, जालंधर व अमृतसर आदि शहरों को ले जाती है। खास बात तो यह है कि अवैध रूप से संचालित हो रही इन सभी बसों के परमिट सिर्फ पार्टियों की बुकिंग के लिए ही वैध है और फुटकर सवारियां भरना नियम विरुद्ध है। फिर भी यह निजी बसें क्षेत्र के तकिया चौराहा, सफीपुर, चकलवंशी व मियांगंज , काली मिट्टी,आदि गांवों और कस्बों से सवारियां भरते हुए रोजाना दोपहर के बाद से शाम के समय तक देखे जा सकते हैं। सूत्रों की माने तो इन बसों में भूसे की तरह सवारियां लाद कर न सिर्फ़ उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है। बल्कि उनको यह बस संचालक किसी तरह का टिकट देते है। बताते हैं कि हादसा होने पर यह लोग घायल को सवारी मानने से हो इन्कार कर देते हैं। कई जानकारों ने बताया कि बस संचालकों की पुलिस प्रशासन व परिवहन विभाग के बीच अर्से से दुराभी संधि बनी हुई हैं इसी के चलते कभी किसी भी आला अधिकारी द्वारा इनके प्रपत्रों की जांच करने की जहमत भी नहीं उठाई गई है।

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