देश भर में जहां एक तरफ तकनीक के विकास से लोगों को नई-नई सुविधा और अवसर मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर साइबर ठगी के मामलों में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. देशभर में बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत साइबर क्रिमिनलों से निपटने के लिए सरकार 5,000 साइबर कमांडो को प्रशिक्षित कर रही है.
गृह मंत्री से मिली हरी झंडी
साइबर ठगी से निपटने के लिए सरकार टेक्नोलॉजी का लगातार प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की तकनीक और ए.आई (AI) टूल का भी इस्तेमाल कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C)की स्थापना समारोह में इस बात का जिक्र किया. उन्होंने कहा की साइबर क्राइम की कोई सीमा नहीं होती इस खतरे से निपटने के लिए साइबर क्षेत्र में अन्य प्रमुख बलों के साथ साइबर सिक्योर भारत के दृष्टिकोण को भी मजबूत करना है. गृह मंत्री द्वारा इस मौके पर चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई जिसमें सस्पेक्ट रजिस्ट्री, साइबर कमांडो, साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) और समन्वय प्लेटफॉर्म शामिल है. भारत सरकार के द्वारा 5,000 साइबर कमांडो को ट्रेनिंग दिया जा रहा है जो साइबर सिक्योरिटी में बिल्कुल दक्ष रहेंगे और नई तकनीक और एआइ टूल की मदद से साइबर अपराधों पर कड़ी निगरानी रखते हुए अपराधों पर नियंत्रण कर सकेंगे. साइबर कमांडो को साइबर सिक्योरिटी को डील करने और अपराधियों तक पहुंचाने के लिए फोरेंसिक तकनीक की भी ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे वह जिले में तैनात होकर साइबर ठगी को रोक सकें और साइबर अपराधों पर ज्यादा से ज्यादा नियंत्रण किया जा सके. साइबर कमांडो बनने के लिए सरकार के द्वारा एक एग्जाम कराया जाएगा जिसमें पुलिसकर्मी भाग लेंगे. एग्जाम क्वालीफाई करने के बाद ही पुलिस विभाग के पुलिसकर्मी आगे इंस्टिट्यूट में साइबर कमांडो की 6 महीने की ट्रेनिंग ले सकेंगे.