राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों का हित ध्यान में रखकर कराए जाते हैं सुलह समझौते: जिला जज

वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए कुल 44807 वाद और वसूली गई कुल 147860862 रुपए की समझौता राशि

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है।सुलह समझौता के दौरान सभी का मान,सम्मान बना रहे और सभी को न्याय मिले,इसका ध्यान रखा जाता है।राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है।शनिवार को यह बातें बतौर मुख्य अतिथि जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव ने कही।वे जिला एवं सत्र न्यायालय प्रांगण में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। जनपद न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी,तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बातें सुनते थे और यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं? इसी को देखते हुए सुलह समझौता कराया जाता था और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़ते थे।उन्होंने कहा कि सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश,मतभेद और दुर्भावना समाप्त हो जाती थी।लोक कल्याण की भावना से ओत प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय तथा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल, एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिये जाते हैं,जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित रहती है।उन्होंने कहा कि लोग मिलजुल कर प्रेम भावना से रहे,जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है।यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं,तो उसे शांति और सद्भाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए।यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने,शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है।लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्तियों की सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके।उन्होंने बताया की धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद वाद,विद्युत एवं जलवाद बिल, (अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एवं अन्य व्यवहार वाद,पारिवारिक विवाद,भूमि अधिग्रहण वाद,सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन,भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद,जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों,अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गए हैं।वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ जनपद न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव द्वारा
मां सरस्वती जी की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।अपर जिला जज व राष्ट्रीय लोक अदालत की नोडल अधिकारी श्रीमती नूरी अनुसार तथा अपर जिला जज व प्राधिकरण सचिव अनिल कुमार वर्मा ने बताया वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 44807 वादों को निस्तारित किया गया तथा कुल समझौता राशि 147860862 रुपए वसूल की गई जिसमें पीठासीन अधिकारी (वर्चुअल कोर्ट) प्रत्युश आनंद मिश्रा द्वारा 15 हजार वादों का निस्तारण किया गया, जो कि अत्यंत सराहनीय है।न्यायाधीश मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण शेषमणि द्वारा कुल 115 वाद निस्तारण हेतु नियत थे,जिसमें से कुल 83 वाद निस्तारित किये गये,जिस पर कुल 56365423 रुपए की धनराशि क्षतिपूर्ति निर्धारित की गयी।बैंक रिकवरी से संबन्धित 1090 प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये तथा बैंक संबन्धित ऋण 65110161 रूपए वसूल किये गये,जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किये गये हैं।यह एल.डी.एम गणेश सिंह यादव द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है।पारिवारिक विवाद से सम्बन्धित 46 मुकदमों को निस्तारित किया गया है, जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये।संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 7015 वाद निस्तारित किया गया,जिसके एवज में कुल मु. 114015 रुपए अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 2170 वाद,अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम द्वारा 2009 वादों का तथा सिविल न्यायालय द्वारा कुल 108 मामलों का निस्तारण किया गया, जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किया गया है।राजस्व मामलों से संबन्धित 21437 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किये गये।इस दौरान राहुल कुमार कात्यायन,प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय,राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव-तृतीय,पीठासीन अधिकारी,कामर्शियल न्यायालय,  अल्पना सक्सेना,अपर प्रधान न्यायाधीश,पारिवारिक न्यायालय एवं अपर जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव अनिल कुमार वर्मा,नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत  नूरी अंसार अपर जनपद न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-द्वितीय व अन्य सम्मानित न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।

अमिताभ श्रीवास्तव

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