कच्चातिवु द्वीप को वापस पाने के लिए करना होगा ‘युद्ध’: तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन ( ओआरएफ ) की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों ने UNCLOS (संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन आॅन द लाॅ द सी ) के तहत 70 के दशक के समझौते को अधिसूचित किया था. इसलिए, मामले में एकतरफा फैसला लेना संभव नहीं है. यानी कि श्रीलंका की सहमति के बिना भारत को कच्चातिवु मिलना संभव नहीं
समृद्धि न्यूज। भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच हिंद महासागर में स्थित कच्चातिवु द्वीप को लेकर राजनीतिक बहस जारी है. तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने दावा किया कि केंद्र सरकार कच्चातिवु द्वीप को दोबारा भारत में शामिल करने के लिए कोशिश कर रही है, विवाद तब शुरू हुआ जब RTI से मिले जवाब में सामने आया कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था. कच्चातिवु भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच हिंद महासागर में स्थित निर्जन द्वीप है. क्या भारत कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस ले सकता है.कच्चातिवु 285 एकड़ में फैला हुआ है. साल 1974 तक दोनों देश इस द्वीप का प्रशासन संभालते रहे. बाद में जब प्रशासन को लेकर दोनों देशों में विवाद बढ़ा तो 1974 से 1976 की अवधि में भारत और श्रीलंका के बीच सीमा समझौता हुआ. दोनों देशों ने चार सामुद्रिक सीमा समझौते पर दस्तखत किए और इसी का नतीजा था कि कच्चातिवु श्रीलंका के अधीन चला गया
तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने दावा किया कि केंद्र सरकार कच्चातिवु द्वीप को दोबारा भारत में शामिल करने के लिए कोशिश कर रही है. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है. 2014 में जब कच्चातिवु का मामला उठा था तो पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि द्वीप को ‘युद्ध’ के बिना वापस नहीं लिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, ‘कच्चातिवु 1974 में एक समझौते के तहत श्रीलंका गया था. आज इसे वापस कैसे लिया जा सकता है? यदि आप कच्चाथीवू को वापस चाहते हैं, तो इसे पाने के लिए युद्ध करना होगा.’ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमें एक समाधान तलाशने की जरूरत है. हमें श्रीलंकाई सरकार के साथ इस पर काम करना होगा. राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री जीवन थोंडामन ने साफ कहा कि कच्चातिवू द्वीप श्रीलंकाई नियंत्रण रेखा के भीतर आता है. उन्होंने कहा, ‘श्रीलंका के साथ नरेंद्र मोदी की विदेश नीति सजीव और स्वस्थ है.अभी तक भारत की ओर से कच्चातिवु द्वीप को लौटाने के लिए कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है. अगर ऐसी कोई मांग होती है, तो विदेश मंत्रालय उसका जवाब देगा.’