जयशंकर ने पाकिस्तान को उसी की धरती पर घेरा, चीन को भी दिया मैसेज

आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित की जा रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में एक बार फिर पाकिस्तान पर निशाना साधा। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आतंकी घटनाएं जारी रहेंगी तो फिर व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इस तरह जयशंकर ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को उसी के घर में लताड़ लगाई। पाकिस्तान SCO समिट की मेजबानी कर रहा है. भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समिट में हिस्सा लिया और पाकिस्तान की सरजमीं से ही उसे धो डाला. एस जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को जमकर घेरा वहीं भारत की संप्रभुता के मुद्दे पर चीन को भी खूब सुनाया. जयशंकर ने पाकिस्तान को सुनाते हुए कहा कि अगर आपसी विश्वास में कमी आई है या फिर पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है, अगर दोस्ती में गिरावट आई है और अच्छे पड़ोसी की कमी महसूस हो रही है तो इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए. जयशंकर ने पाकिस्तान को संदेश देते हुए कहा कि हमें एक ईमानदार बातचीत करने की जरूरत है. उन्होंने पाकिस्तान-चीन के CPEC प्रोजेक्ट की वजह से भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का भी मुद्दा उठाया.

आतंकवाद और क्षेत्रीय संप्रभुता का उठाया मुद्दा

जयशंकर ने कहा कि सहयोग का आधार आपसी सम्मान और संप्रभु समानता होनी चाहिए. क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की पहचान होनी चाहिए. जयशंकर ने कहा कि SCO देशों के बीच एकतरफा एजेंडा नहीं बल्कि वास्तविक साझेदारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर हम वैश्विक मुद्दों खासकर ट्रेड और ट्रांसिट को लेकर सेलेक्टिव होंगे को विकास नहीं हो पाएगा. उन्होंने संबोधन की शुरुआत में कहा कि, ‘SCO के चार्टर का आर्टिकल 1 में हमारे उद्देश्य और कर्तव्य साफ किए गए हैं. इसका मकसद आपसी दोस्ती, भरोसा और अच्छे पड़ोसी के बीच संबंधों को मजबूत करना और क्षेत्रीय स्तर पर आपसी सहयोग को बढ़ाना है.’ उन्होंने कहा कि चार्टर में उन चुनौतियों का साफ तौर पर जिक्र है जिससे हमें मिलकर लड़ना चाहिए. इनमें से 3 प्रमुख चुनौतियां हैं- आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ, जिससे निपटने के लिए SCO प्रतिबद्ध है. लेकिन अगर हम वर्तमान परिस्थितियों पर नजर डालें तो इन चुनौतियों से लड़ना और भी जरूरी हो गया है.

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि ‘हम ऐसे समय मिल रहे हैं, जब दुनिया संकटों से गुजर रही है। दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं और उनका पूरे विश्व पर नकारात्मक असर हो रहा है। कोरोना महामारी ने कई विकासशील देशों को बुरी तरह प्रभावित किया। साथ ही जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखला की अनिश्चितता और वित्तीय कमजोरी विकास को प्रभावित कर रही है।’ विदेश मंत्री ने एससीओ देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने, विश्वास, दोस्ती और अच्छे पड़ोसी बनने की अपील की। उन्होंने कहा कि एससीओ संगठन के सामने आतंकवाद, अलगावाद और कट्टरपंथ से लड़ने की साझा चुनौती है।

‘दुनिया बहु ध्रुवीयता की तरफ बढ़ रही’
पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि अगर विश्वास की कमी है या सहयोग पर्याप्त नहीं है। दोस्ती कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। साथ ही यह तभी संभव है जब हम पूरी ईमानदारी से चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें, तभी हम आपसी सहयोग और प्रतिबद्धता के फायदों को पूरी तरह से महसूस कर सकते हैं। यह सिर्फ हमारे फायदे के लिए नहीं है। दुनिया आज बहु-ध्रुवीयता की तरफ बढ़ रही है। वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन ऐसी वास्तविकताएं हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता। इन्होंने निवेश, व्यापार, ऊर्जा  और अन्य क्षेत्रों में सहयोग के अवसर पैदा किए हैं। अगर हम इसे आगे बढ़ाते हैं तो इससे हमारे क्षेत्र को बहुत फायदा होगा।  भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि ‘विकास और तरक्की के लिए शांति और स्थिरता जरूरी हैं। अगर सीमा पर आतंकवाद होगा, अलगाववाद और कट्टरपंथ होगा तो फिर व्यापार, ऊर्जा, कनेक्टिविटी और लोगों के लोगों से संबंधों को बढ़ावा देना मुश्किल होगा।’ उन्होंने कहा कि ‘औद्योगिक सहयोग से प्रतिस्पर्धा और श्रम बाजार का विस्तार हो सकता है। छोटे और मध्यम उद्योगों के बीच सहयोग से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। बड़े नेटवर्क से औद्योगिक समुदाय को फायदा होता है। आपसी जुड़ाव नए रास्ते खोल सकता है। लॉजिस्टिक एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। साथ ही पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य क्षेत्र, खाद्य और ऊर्जा में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। साथ ही संस्कृति, शिक्षा और खेल में भी काफी विकास हो सकता है और हम मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं।’

पाकिस्तान-चीन ने उठाया था कश्मीर मुद्दा

SCO समिट से पहले पाकिस्तान और चीन के प्रधानमंत्रियों की मंगलवार को बैठक हुई, इस दौरान चीन ने कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्वक तरीके से सुलझाने की बात कही. शहबाज शरीफ और ली कियांग की मुलाकात के बाद जारी ज्वाइंट स्टेटमेंट में कश्मीर का भी मुद्दा उठाया गया. चीन के प्रधानमंत्री ने इसे UN चार्टर से हल करने की बात कही वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने चीन के इस समर्थन की सराहना भी की.

Dr. S. Jaishankar
  • Delivered s national statement at the SCO Council of Heads of Government meeting today morning in Islamabad.
  • SCO needs to be able and adept at responding to challenges facing us in a turbulent world. In this context, highlighted that:
  • SCO’s primary goal of combatting terrorism, separatism and extremism is even more crucial in current times. It requires honest conversation, trust, good neighborliness and reaffirming commitment to SCO Charter. SCO needs to be firm and uncompromising in countering the ‘three evils’.
  • Globalization and rebalancing are current day realities. There’s need for SCO countries to take this forward.
  • Cooperation must be based on mutual respect and sovereign equality, recognize territorial integrity and sovereignty and be built on genuine partnerships, not unilateral agendas. SCO cannot progress if we cherry-pick global practices, especially of trade and transit.
  • Industrial cooperation can enhance competitiveness and expand labour markets. MSME collaboration, collaborative connectivity, environmental protection and climate action are possible avenues. Whether it is health, food or energy security, we are clearly better off working together.
  • ndian initiatives and endeavors like DPI, women-led development, ISA, CDRI, Mission LiFE, GBA, Yoga, Millets, International Big Cat Alliance etc. hold strong relevance for the SCO.
  • SCO should lead advocating that global institutions need to keep pace through reformed multilateralism to make UNSC more representative, inclusive, transparent, efficient, effective, democratic and accountable.
  • To renew our resolve to attain the objectives of the SCO, it is essential that we keep in mind mutuality of interests and abide by the do’s and don’ts of the Charter. SCO represents the forces of change on whom much of the world puts great store. Let us live up to that responsibility.

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