‘एक देश एक चुनाव’ प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने भारत में एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने बैठक में देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि समिति ने 191 दिन इस विषय (एक देश एक चुनाव) पर काम किया. इस विषय पर समिति को 21 हजार 558 प्रतिक्रियाएं मिलीं. इसमें से 80% ने ‘एक देश एक चुनाव’ का समर्थन किया. 47 राजनीतिक दल ने इस पर प्रतिक्रिया दी. 15 को छोड़कर बाकी ने इसका समर्थन किया. समिति ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, निवार्चन आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्तों से इस पर बातचीत की.

32 राजनीतिक दलों का समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया।  रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।

पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे

उन्होंने बताया कि दो चरणों में इसको लागू किया जाएगा. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे. दूसरे चरण में स्थानीय चुनाव (पंचायत और निगम) होंगे. इस कमेटी की रिपोर्ट पर देशभर में चर्चा होगी. इसमें हितधारकों और सामाजिक संगठनों से बात की जाएगी. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि विधि आयोग ने निर्वाचन विधियों में सुधार पर अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा है कि हर साल और बिना उपयुक्त समय के निर्वाचनों के चक्र का अंत किया जाना चाहिए. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा और विधानसभाओं के लिए साथ-साथ चुनाव कराने को लेकर दिसंबर 2015 में पेश अपनी 79वीं रिपोर्ट में इसकी भी जांच की है.

हम आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे

ये प्रस्ताव कब तक लागू और इसके लिए जरूरी 2 तिहाई बहुमत पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी टर्म में लागू करेंगे. सबसे बात करेंगे.बड़ी संख्या में पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. अगले कुछ महीनों में हम आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. कमेटी की सिफारिशों पर कार्यान्वयन समूह का गठन किया जाएगा. सिफारिशों पर देश में विभिन्न मंचों पर चर्चा की जाएगी.

एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की बात

समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। बताया गया कि समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से समर्थन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इनके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद से पारित कराना होगा।

क्या होंगे एक साथ चुनाव के फायदे

  • चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत।
  • बार बार चुनाव कराने से निजात।
  • फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा।
  • बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है।
  • काले धन पर लगाम भी लगेगी।

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