मुजफ्फरनगर की पुरानी मस्जिद शत्रु संपत्ति घोषित, पाकिस्तान के पहले PM लियाकत अली की पुश्तैनी जमीन पर हंगामा

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बनी मस्जिद को जांच के बाद शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। दरअसल पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के परिवार की जमीन पर मस्जिद और 4 दुकानों को बनाया गया था। इसकी शिकायत राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा की तरफ से 10 जून को तत्कालीन डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगाली से की गई थी। शिकायत में संजय अरोड़ा ने कहा था कि इस संपत्ति पर अवैध कब्जा कर मस्जिद और दुकानों को बनाया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का एक हाई प्रोफाइल संपत्ति विवाद (शत्रु संपत्ति विवाद) सेटल हो चुका है, फिर भी हंगामा बरपा है. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान  की जमीन को लेकर आए फैसले पर पुनर्विचार की मांग हो रही है. इस विवाद की जड़े आजादी से पहले के अखंड भारत से जुड़ी हैं. मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित प्रॉपर्टी, पर एक मस्जिद और चार दुकानें बनी हैं. भारत के बंटवारे के बाद लियाकत उधर पाकिस्तान गए, इधर हिंदुस्तान में उनकी जमीन पर अवैध कब्जा हो गया. एक समुदाय का दावा है जमीन वक्फ बोर्ड की है शत्रु संपत्ति नहीं, दूसरे का तर्क है फैसला हो चुका है. इस मामले में दूसरा पक्ष कोर्ट गया तो राष्ट्रीय हिंदू संगठन ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर केस में पार्टी बनने की मांग की थी. इस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 7 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की थी. राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन ने 10 जून को डीएम अरविंद मल्लप्पा से संपत्ति पर अवैध कब्जे की शिकायत की थी. डीएम ने एडीएम वित्त एवं राजस्व गजेंद्र कुमार, एमडीए सचिव, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, सीओ सिटी और पालिका के ईओ से मामले की जांच कराई. जिसके बाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के परिवार की खसरा नंबर 930 वाली जमीन को निष्क्रांत संपत्ति घोषित कर दिया गया था. जमीन वक्फ की है ये कहने वालों का कहना है कि प्रॉपर्टी लियाकत अली की नहीं उनके पिता की थी, जिसे उन्होंने दान कर दिया था. वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि लियाकत पाकिस्तान गए वहां के प्रधानमंत्री बने ऐसे में ये संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ ही है. लियाकत अली खान का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था और वह रुस्तम अली खान और उनकी पत्नी महमूदा बेगम के दूसरे बेटे थे. लियाकत अली खान के पूरे परिवार का मुजफ्फरनगर से गहरा जुड़ाव था. 1932 में लियाकत अली खान संयुक्त प्रांत विधान परिषद के उपाध्यक्ष चुने गए. 1940 में केंद्रीय विधान सभा में पदोन्नत होने तक ये इलाका उनकी कर्मभूमि रहा. इस इलाके में खान परिवार का दबदबा था और मुजफ्फरनगर की सियासत में उनकी हिस्सेदारी का अपना अलग स्थान था. मुजफ्फर नगर में उनकी संपत्तियां थीं. हालांकि 1947 में भारत के बंटवारे के बाद, उनकी संपत्तियों की तकदीर नाटकीय ढंग से बदल गई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *