केंद्र सरकार मंगलवार को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेगी. कल के लोकसभा बिजनेस में वन नेशन वन इलेक्शन को लिस्टेड भी कर दिया गया है. इससे पहले बीजेपी ने लोकसभा के अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का एक व्हिप भी जारी किया. पार्टी ने अपने सभी सांसदों को कल अनिवार्य रूप से सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है.पहले यह चर्चा थी कि सरकार सोमवार को वन नेशन वन इलेक्शन का बिल लोकसभा में पेश करेगी, लेकिन किसी कारणों की वजह से टाल दिया गया. लोकसभा में कल के एजेंडा की संशोधित कार्यसूची सामने आने के बाद बिल को लेकर तस्वीर साफ हो गई है. पिछले शुक्रवार को लोकसभा के जारी बिजनेस लिस्ट में इस बिल को शामिल किया गया था और उसी दिन सभी सांसदों को बिल की कॉपी भी वितरित कर दी गई थी, लेकिन बाद में लोकसभा के रिवाइज्ड बिजनेस लिस्ट से बिल को हटा दिया गया था. सूत्रों को मुताबिक, बिल पेश होने और विस्तृत चर्चा और सहमति बनाने के लिए बिल को जेपीसी में भेजा जा सकता है. सरकार को इस बील को संसदीय समिति को भेजने में कोई एतराज नहीं है अगर सदन में इसकी मांग होती है तो. कहा जा रहा है कि कल ही जेपीसी का गठन भी हो जाएगा जिसमें बीजेपी-कांग्रेस समेत तमान दलों के सदस्यों के नाम का ऐलान भी होगा. सूत्रों के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर NDA के सभी घटक दलो से चर्चा हो चुकी है और सभी दल इसके पक्ष में हैं. सरकार के सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दल इसका विरोध सिर्फ राजनैतिक कारणों से कर रहे हैं.
20 दिसंबर को खत्म होगा सत्र
वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़े विधेयक को 16 दिसंबर को सदन के के कामकाज के एजेंडे के रूप में लिस्ट किया गया था। हालांकि, अब इसे अब मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार ने विधेयक की प्रतियां सांसदों को बांट दी हैं ताकि वे इसका अध्ययन कर सकें। आपको बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को खत्म हो रहा है। इसलिए सरकार के पास वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़े इस बिल को पेश करने के लिए केवल 4 दिनों का समय शेष है।
विपक्षी दल विरोध में
डीएमके, तृणमूल कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने एक राष्ट्र, एक चुनाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। विपक्षी दलों का तर्क है कि ये नियम देश के संघीय ढांचे को बाधित कर सकता है, क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर सकता है और केंद्र में सत्ता केंद्रित कर सकता है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन का कदम लागत प्रभावी और शासन-अनुकूल होगा और यह समय की जरूरत है।