फर्रुखाबाद-कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की कला संस्कृति ग्रीष्मावकाश कार्यशाला का समापन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर छात्राओं ने मंत्रमुग्ध किया ।
रविवार को नगर के सेनापति स्ट्रीट स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में 18 मई से आयोजित माह भर चलने वाली ग्रीष्मावकाश कला संस्कृति कार्यशाला का समापन समारोह संपन्न हुआ । कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि रस्तोगी इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य संतोष त्रिपाठी व मदन मोहन कनोडिया बालिका इण्टर कालेज की प्रधानाचार्या सुमन त्रिपाठी,राष्ट्रीय कवि डॉक्टर शिवओम अम्बर,सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के प्रबंधक, संजीव सिंह चौहान,महामंत्री सुरेन्द्र पाण्डेय, अध्यक्ष डॉक्टर नवनीत गुप्ता ने संयुक्त रूप से भगवान नटराज व भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्ज्वलित कर किया। छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध कर दिया। सर्वप्रथम अरविंद दीक्षित के द्वारा ध्येय गीत का सामूहिक गान कराया गया । इसके बाद सचिव दिलीप कश्यप ने सभी का स्वागत कर कार्यशाला की प्रस्तावना को पढ़ा। संस्था द्वारा नवीन सदस्यों का परिचय कराया गया। कथक छात्राओं में महिमा,कशिश,नंदनी, आराध्या, समृद्धि,आस्था,भाव्या ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी । इसी के साथ कथक नृत्य ‘अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, पर अग्रिमा, अन्वी,श्रेया, ममता, पिंकी आदि ने प्रस्तुति दी। इसके बाद स्मृति,श्रेया,दीक्षा,उन्नति,स्वरा, मिष्ठी,अंशिका,देवांशी,रामांशी,सोनम साधना आदि ने ‘मैं पारियों की शहजादी आसमान से आईं हूं, व शिव तांडव पर प्रस्तुति दी।
चित्रकला में अक्षत,अर्णव,आहिल,समृद्धि प्रवींद्र आदि ने सुन्दर चित्र प्रस्तुत कर मन मोह लिया । महीने भर सिलाई का प्रशिक्षण लेने वाली छात्राओं ने विभिन्न परिधानों की डिजाईन प्रस्तुत की । सौंदर्य कला में अंजली,अनन्या, नव्या,प्रियांशी अनुष्का,मानवी आदि ने पंजाबी सूट,राजस्थानी लहंगा,मराठी कुर्ती,सरारा कुर्ती,बंगाली साड़ी आदि में विभिन्न तरह की भेषभूषा से परिचय कराया । ढोलक का प्रशिक्षण लेने वाली छात्राओं ने ढोलक की थाप पर पारंपरिक तरीके से लोकगीतों का गायन किया । श्रेया, दीक्षा, उन्नति स्मृति,दीक्षा,काव्या,परी सिद्दिका, आयुषी आदि ने डाण्डिया नृत्य कर सुंदर प्रस्तुति दी ।
कार्यक्रम में प्रशिक्षिका रजनी लौंगवानी,कोमल शर्मा, स्नेहा श्रीवास्तव,नेहा सक्सेना,साधना श्रीवास्तव,हेमलता श्रीवास्तव,किरन त्रिवेदी, प्रिया वर्मा को उपहार व सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मदन मोहन कनोडिया बालिका इण्टर कालेज की प्रधानाचार्या सुमन त्रिपाठी ने कहा कि संस्कार भारती समाज में हो रहे विघटन को कला के माध्यम से रोकने का काम कर रही है । रस्तोगी कालेज के प्रधानाचार्य संतोष त्रिपाठी ने कहा कि संस्कार भारती आपने उद्देश्यों के साथ समाज में सांस्कृतिक चेतना को जाग्रत करने का कार्य कर रही है । राष्ट्रीय कवि डॉक्टर शिवओम ने कहा कि संस्कार भारती ग्रीष्मवकाश कार्यशाला के माध्यम से संस्कार देने का काम करती है कला साहित्य और संगीत की यह संस्था अपने आप में बड़ा कार्य करती है । उन्होंने फर्रुखाबाद पांचाल नगर के इतिहास और महत्व को बताया साथ ही संस्था के पदाधिकारियों एवं समाज से अनुशासन में कार्य करने के लिए प्रेरित किया ।
महामंत्री सुरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि कला साहित्य और संगीत की त्रिवेणी आचार्य कंचन ने कार्यशाला में हमेशा योगदान दिया कलाओं से उन्हें सदेव प्रेम रहा । संस्कार भारती भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण करने के साथ राष्ट्र में कला साहित्य और संगीत के माध्यम से राष्ट्र प्रेम जाग्रत कर रही है । सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के प्रबंधक संजीव सिंह चौहान ने संस्था के ग्रीष्मावकाश कार्यशाला की प्रसंशा की । थानाध्यक्ष मऊदरवाजा अमोद कुमार सिंह ने संस्कार भारती के कार्यों की प्रशंशा की ।अध्यक्ष डॉक्टर नवनीत गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया । संस्था के पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र ओढ़ाकर स्वागत सम्मान किया गया । कार्यक्रम की व्यवस्था दिलीप कश्यप,राम मोहन शुक्ल,अर्पण शाक्य,अरविंद दीक्षित,प्रवेश वर्मा प्रीतू,आदेश अवस्थी,शशीकांत पाण्डेय, डॉक्टर सर्वेश श्रीवास्तव ने संभाली,संचालन अभिनव सक्सेना ने किया। इस अवसर पर दीपक रंजन सक्सेना, विनय अग्रवाल,संजय गर्ग,अर्चना द्विवेदी,रामेंद्र कमठान,रविंद्र भदौरिया,डॉक्टर रविंद्र यादव,डॉक्टर राकेश गंगवार,सर्वेश श्रीवास्तव, अनुराग पांडेय, अर्चना अग्निहोत्री,शकुन आर्य,समरेंद्र शुक्ल,मनोज मिश्रा,नवीन मिश्रा नब्बू, आकांक्षा सक्सेना, राम अवतार शर्मा इंदु रोहित दीक्षित, अनुभव सारस्वत,राज गौरव पाण्डेय,आलोक द्विवेदी, अनिल प्रताप सिंह, निहारिका पटेल,भूपेंद्र प्रताप सिंह, निमिष टंडन, डॉक्टर ज्योति गुप्ता,सुनीता सक्सेना आदि लोग उपस्थित रहे।