उत्तरकाशी में गुरुवार को मस्जिद विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिससे शहर में तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया. जब संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल द्वारा बुलाई गई रैली के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई. इस दौरान हुए पथराव और लाठीचार्ज की घटनाओं में आठ पुलिस कर्मियों समेत 27 लोग घायल हो गए है. तनाव को देखते हुए बीएनएस की धारा 163 लगा दी गई है. इस बारे में जानकारी देते हुए SP उत्तरकाशी अमित श्रीवास्तव ने कहा कि गुरुवार को संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल की रैली को प्रशासन द्वारा इजाजत दी गई थी. उनका रूट और समय भी तय था. लेकिन, वो तय रूट से ना जाकर दूसरे रूट से जाने की जिद कर रहे थे. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और भीड़ को तितर-बितर किया. मस्जिद के खिलाफ जनाक्रोश रैली बुलाने वाले एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने चार नवंबर को महापंचायत बुलाई है। दीपावली के त्योहार को लेकर फिलहाल कोई आंदोलन नहीं किया जाएगा। चार नवम्बर को ही आगे आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। यह निर्णय विश्वनाथ मंदिर सभागार में बैठक कर लिया गया। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह ने बताया कि मामले में आठ के खिलाफ नामजद और 200 अज्ञात के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस नियमों का अनुपालन करने के लिए कर रही अपील
दूसरी तरफ घटना के विरोध में व्यापार मंडल के आह्वान पर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्णय लिया गया है। नगर पंचायत में स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठानों सहित दुग्ध डेयरी,सब्जी विक्रेता, और मेडिकल स्टोर भी बन्द हैं। व्यापार मंडल ने अपने ग्रुप में दुकान खोलने वाले व्यापारी के विरुद्ध कार्रावाई की चेतावनी प्रसारित की है।
पुलिस लाठीचार्ज के बाद इलाके में तनाव
जिसके बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया और धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया. वहीं नाराज प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कियाय. इस झड़प में पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों ओर से कई लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया. लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ बिखर गई और कुछ लोग कलक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. बाद में, प्रदर्शनकारी छोटे-छोटे समूहों में बाजार में फैल गए और दूसरे समुदाय के व्यापारियों की दुकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इस दौरान बाजार में अफरातफरी मच गई और व्यापारी अपनी दुकानें बंद करने लगे.